SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 165
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भनगारधर्मामृतयपिणी टोका अ० १५ नदिफलस्वरूपनिरूपणम् जणवय मज्झ मझेणं जेणेव दसम्गं तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सगडीसागड मोयावेइ मोयावित्ता सस्थणिवेस करेइ करित्ता कोडवियपुरिसे सदावेइ सदावित्ता एव क्यासी-तुभेणे देवाणुप्पिया। मम सत्थनिवससि महया महया सदेणं उग्घासेमाणा २ एव वयह-एवं खलु देवाणुप्पिया । इमीसे आगमियाए छिन्नावायाए दीहमदाए अडवीए बहुमज्झदेसभाए वहवे गंदिफला नाम रुक्खा पन्नत्ता किण्हा जाव पत्तिया पुफिया फलिया हरियगरेरिजमाणा सिरीए अईव अईव उवसोभेमाणा चिट्टति मणुण्णा बन्नेणं जाव मणुन्ना फासेणं मणुन्ना छायाए, त जो णं देवाणुप्पिया । तेसि नदिफलाण मूलाणि वा कद० तय० पत्त० पुप्फ० फल० वीयाणि वा हरियाणि वा आहारेइ छायाए वा वीसमइ तस्रणं आवाए भद्दए भवइ तओ पच्छा परिणममाणा२ अकाले चेव जीवियाओ ववरोवेति, तं माणं देवाणुप्पिया । केइ तेसि नदिफलाणं मूलाणि वा जाव छायाएं वा वीसमउ, मा णं सेऽवि अकाले चेव जीवियाओ ववरोविजिस्सइ, तुम्भेणं देवाणुप्पिया | अन्नेसि रुक्खाण मूलाणिया जाव हरियाणि य आहारेह छायासु वीसमहत्ति घोसणं घोसेह जाव पच्चप्पिणति, तएण से धपणे सत्थवाहे सगडीसागड जोएइ२ जेणेव नदिफला रुक्खा तेणेव उवागच्छई उवागच्छित्ता तेसिं नदिफलाण अदूरसामते सत्थणिवेस करेइ करिता दोच्चपि तच्चपि कोडविय परिसे सहावेद मटावित्ता
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy