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________________ R ८४८ माताधर्मकपाल स्यामिनः समयमरणं यारत् परिपत् पर्युपान्ते, तम्मिन् काले तस्मिन समये कृष्णा देवीईशाने कल्पे कप्यारतसके रिमाने सभायां सुधर्माया, करण सिंहामने, शेष इस तरह से ह-(तेण कालेण तेण समण रायगिहे समोसरण जाय परिसा पज्जुवासइ) उस काल एव उस समयमें राजगृह नगरमें भगवान् महावीर का शुभागमन हुआ था। परिपद उन को बदना आदि करने के लिये उनके समीप पहुँची। प्रभुने सबके लिये धर्म का उपदेश सुनाया। लोगोंने उपदेश सुनकर प्रभु की पर्युपामना की (तेण कालेण तेण समएण कण्हा देवी ईसाणे कप्पे कण्डब.सए निमाणे समाए सुरम्माए कण्हसि सीरासणसि सेस जहा कालिए एव अविट्टाभन्म यणा कालीगमएण णेयव्या, णवर पुन्वभवे वाणारसी नयरील दो जणीओ रायगिहे नयरे दो जणीओ, सावत्धी नयरी दो जणीओ, को सीए नयरीए दो जणीओ रामे पिया धम्मा माया सबओऽवि पानस्स अरहओ अतिए पव्वइयाओ पुप्पाचलाए अनाप सिसितणीयत्ताए ईसा. णस्स अग्गमहिसीओठिई, णवपालिओवमाइ, महाविदेहे वासे सिन्सि हिंति, बुज्झिहिति, मुच्चिहिति, सम्वदुक्खाण, अतकारिति, एव खलु जबू! णिक्खेवओ दसमवग्गस्स) उसी काल और उसी समय वहा कृष्णादेवी जो ईशान कल्प में कृष्णारतसक विमान में रहती थी-और प्रभाव छ (तेण कालेण तेण समए रायगिहे समोसरण, जार परिसा पज्जवासइ) आजे मन त समय र नगरमा लगवान महावीरनु શુભાગમન થયુ તેમને વદન કરવા માટે પરિપદ તેમની પાસે પહોંચી મને પ્રભએ ધર્મોપદેશ સંભળાવ્યો ધર્મોપદેશસાભળીને પરિષદે પ્રભુની પર્થપાસના કરી ( तेण कालेण तेण समएणं कण्हा देवी ईसाणे कप्पे कण्हेवडेंसए विमाणे सभाए मुहम्माए कण्हसि सीहासणसि सेस जहा कालीए एव अविट्ठा अज्झयणा कालीगमएण णेयव्या, णवर पुवभवे वाणारसीए नयरीए दो जणीओ रायगिहे नयरे दो जणीओ, सावत्थीए नयरीए दो जणीभी, कोसपीए नयरीए दो जणीभो रामे पिया धम्मा माया सव्वोऽवि पासस्स आहओ अतिए पव्वझ्याओ पुप्फ चलाए अन्नाए सिस्मिणीयत्ताए ईसाणस्स अगामहिसीओ ठिई, णवपलि ओवमाइ, महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुझिहिति, मुन्चिर्हिति, सम्बदुक्खाण, जत काहिति एव खलु जनू ! णिसेवजो दसमवग्गस्स) તે કાળે અને તે સમયે ત્યા કૃષ્ણ દેવી-કે જે ઈશાન-૮૫માં કૃષ્ણ વત સક વિમાનમાં રહેતી હતી અને જેની સભાનુ નામ - 1 તેમજ સિંહાસનનું નામ કૃષ્ણ હતુઆવી એના પછીને
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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