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________________ वाताधर्मका 4 टीका-फाली देवीगमनानन्तर गौतमः पृच्छति' भंतेति इत्यादि । भतेति ' हे भदन्त । इति सम्बोय भगवान् गौतमः श्रमण भगवन्त महावीर चन्दते नमस्पति पन्दिया नमस्त्रिला एमनादी काल्या सल हे भदन्त । देव्या साच्या साम्मत दर्शिता सा दिव्या 'देविट्टो' देवदि =विमानपरिवारादिरूपा, ' देवज्जुई 'देवघुतिः शरीरागरणादीना दीपित्पा 'देवणुभावे ' देवानुभाव'= शक्तिभावादिप, उगता ? कुत्र मष्टा ? भगवानाह - शरीर गता, शरीरमनु , 3 ७७६ " भते त्ति भगव गोयमे' इत्यादि । टीकार्थ :- कालीदेवी के चले जाने के बाद (भगव गोयमे ) भग चान गौतम ने (भते त्ति) हे भदन | इस प्रकार संबोधित कर (समणं भगव महावीर चदह णममः ) श्रमण भगवान् को वंदना की- नमस्कार किया (चदित्ता णममित्ता एव वगामी) वदना नमस्कार करके फिर उन्हो ने उनसे इस प्रकार पूत्र - (कालिएण भते । देवीए सा दिव्या देवी : करि गयto कृडागारसादिनो, अशेण मते । कालीदेवी महड्डिया २, कालिगण भते । देवीए सा दिव्या देविडि ३ किण्णा लढा, किण्णा पत्ता, विष्णा अभिसमण्णा गया ? एव जहा सूरियाभस्स जाव ) हे भदत ' कालीदेवी ने जो इस समय दिव्य विमान - परिवार आदिरूप ऋद्धि दिसलाई, शरीर, आमरण आदि की दीसिरूप जो देवगुति एव शक्ति प्रभाव आदिरूप जो देवानुभाव दिग्वलाया - यह सन कहा चला ० 'भवेति भगव गोयमे' इत्यादि -- टीडार्थ-डाणी हेवीना भता रह्या माह ( भगव गोयमे ) भगवान गौतमे (भतेत ) डे अन्त ! या प्रमा सभोधन पुरीने ( समण भगव महावीर वदइ नमसइ) श्रभाशु भगवान महावीरने वहन ने नमस्कार अर्या (वदित्ता णमसिता एव वयासी ) वहना थाने नमस्कार पुरीने ते मी तेथे श्रीने पूछयु ॐ (कालिएण भते ! देवोए सा दिव्या देवडी ३ कहिं गया० कूडागार - सालादिहतो, अहो भते । काली देवी महट्टिया ३, बालिएण मते ! देवीए सा दिव्या देविड ३ का लद्वा, किण्या पत्ती, किष्णा अभिरामण्णा गया ? एक जहा सूरियाभस्स जान ) હે ભદન્ત 1 કાળી દેવીએ અત્યારે જે દિવ્યવિમાન, પરિવાર વગેરેની ઋદ્ધિ ખતાવી, શરીર, આભરણુ વગેરેની દીપ્તિની જે દેવવ્રુતિ તેન્જ શક્તિ, પ્રભાવ વગેરેના જે દેવાનુભાવ મતાન્યા તે અધો કયા અદય થઈ ગયે કયા પ્રવિષ્ટ થઈ ગયા ?
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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