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________________ अनगारधर्मामृतवपिणी टी० श्रु २ च १ १ कालीदेवीवर्णनम् ७६१ राईरयणी विज्जू मेहा, जडणं भते। समणेणं जाव सपत्तण पढमस्स वग्गस्स पच अज्झयणा पण्णता पढमस्त णं भते । अग्झयणस्स समणेण जाव सपत्तण के अहे पण्णत्ते , एव खलु जवू । तेणं कालेण तेण समएणं रायगिहे जयरे गुणसिलए चेइए सेणिए राया चेल्लणा देवी सामी समोसरिए परिसा णिग्गया जाव परिसा पज्जुवासइ, तेणं कालेणं तेणं समएणं काली नाम देवी चमरचचाए रायहाणीए कालवडिसगभवणे कालसि सीहासणसि चउहि सामाणियसाहस्सीहि चउहि महत्तरियाहि सपरिवाराहि तिहि परिसाहि सत्तहि अणिएहि सत्तहिं अणियाहिवईहि सोलसहि आयरक्खदेवसाहस्सीहि अण्णेहि वहुएहि य कालवडिसयभवणवासीहि असुरकुमारेहि देवीहि य सद्धि सपरिवुडा महया हय जाव विहरइ, इमं च णं केवलकप्प जवुद्दीव दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणी२ पासइ, तत्थ समण भगव महावीर जबुद्दीवे दीवे भारहे वासे रायगिहे नगरे गुणसिलए चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिमिहत्ता संजमेण तवसा अप्पाणं भावेमाणं पासइ पासित्ता हट्टतुट्टचित्तमाशंदिया पीइमणा जाव हियया सीहासणाओ अभुटेइ अब्भुद्वित्ता पायपीढाओ पञ्चोरुहइ पच्चोरुहित्ता पाउयाओ ओमुयइ ओमुइत्ता तित्थगराभिमुहा मत्तट्टपयाइ अणुगच्छइ अणुगच्छित्ता वाम जाणु अचइ अचित्ता दाहिणं जाणु धरणियलसि निहु तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणियलसि निवेसेड निवेसित्ताईसिं श ९६
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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