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________________ अनगारधर्मामृतवर्षिणी टोका अ०१२ खातोदकविपये सुवुद्धिद्रष्टान्त ६९१ प्पिया । कइवयाइति वासाइ उरालाइ जाव भुजमाणा तओ पच्छा एगयओ अतिए मुडे भवित्ता जाव पवइस्सामो, तएण सुबुद्धी जियसत्तस्स एयम पडिसुणेइ, तएण तस्स जियसत्तूस्स सुबुद्धीणा सद्धि विपुलाइ माणुस्स० पच्चणुभवमाणस्स दुवालसवासाइ वीइकताइ तेणं कालेण२ थेरागमणं तएण जिय सत्त धम्म सोच्चा एव ज नवरं देवाणुप्पिया । सुबुद्धि आमंतेमि, अहासुह, तएण जियसत्त जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सुबुद्धि सदावेइ सहावित्ता एव वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया । मए थेराणं जाव पव्वजामि, तुम णं किं करेसि ?, तएण सुबुद्धी जियसत्तू एव वयासी-जाव के अन्ने आहारे वा जाव पव्ययामि, त जइणं देवाणुप्पिया जाव पत्रयहि त गच्छह णं देवाणुप्पिया | जेट्टपुत्त च कुडुवे ठावेहि ठावित्ता सीय दुरुहिताण मम अतिए पाउभवइ, तएण जिय. सत्त कोडुबियपुरिमे सदावेइ सदावित्ता एव वयासो--गच्छह ण तुभे देवाणुप्पिया । अदीणसत्तुस्स कुमारस्स रायाभिसेय उवद्ववेह जाव अभिसिचति जाव पव्वइए। तएणं जियसत्तू एकारस अगाइ अहिज्जइ बहूणि वासाणि परियाओमासियाए सिद्धे तएणं सुवुद्वी एकारसअगाइ अहिजइ बहूणि वासाणि जाव सिद्धे । एव खलु जवू । समणेणं भगदया महावीरेण वारसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते त्तिवमि ॥ सू० ५ ॥ ॥ वारसम नाअज्झयण समत्त ॥ टीका-'तएण से' इत्यादि । तत खलु स जितशत्रु राना=चम्पाधिपति अन्यदा
SR No.009329
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size34 MB
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