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________________ भनगारधर्मामृतपिणी टोका अ० ८ मल्लीभगवदीक्षोस्तवनिरूपणम ५२९ जोगमुवागएणं तिहि इत्थीसएहि अभितरियाए परिसाए, तिहि पुरिससएहि वाहिरियाए परिसाए सद्धिं मुडे भवित्ता पन्वइए । मल्लि अरहं इमे अट्ट रायकुमारा अणुपवइसु-तं जहा -" णंदेय णदिमित्ते सुमित्त बलमित्त भाणुमित्ते य। अमरवइ, अमरसेणे, महसेणे, चेव अट्ठमए ॥१॥” तएणं से भवणवइ४ मल्लिस्स अरहओ निक्खमणमहिम करेंति, करित्ता जेणेव नंदी सरवरे० अट्टाहिय करेंति करित्ता जाव पडिगया। तएण मल्ली अरहा जं चेव दिवस पव्वाइए तस्सेव दिवसस्स वरण्हकालसमयंसि असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टयंसि सुहासनसवरगयस्स हेण परिणामेणं पसत्थेहि अज्झवसाणेहि पसस्थाहि लेसाहि विसुज्झमाणीहि तयावरणकम्मरयविकरणकर अपुवकरणं अनुपविट्टरस अणंते जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने ॥ सू० ३९ ॥ टीमा-तएण मल्ली' इत्यादि । ततस्तदनन्तर खलु मल्ली अहन सिंहासना दभ्युत्तिष्ठति अभ्युत्थाय यत्रैव मनोरमाशिपिका तत्रोपागच्छति, उपागत्य मनोरमा शिपिका 'अणुपयाहिणी परेमाणा' अणुप्रदक्षिणी कुर्वाणा-आनुल्येन तएण मरली अरहा-इत्यादि ।' टीकार्थ-(तएण) इसके बाद (मल्ली अरहा सीहासणाओ अब्भुट्टेइ) मल्ली अहंत सिंहासन से उठे (अन्भुद्वित्ता जेणेव मणोरमा सीया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मणोरम मीय अणुपयादिणी करेमाणा मणो रम सीय दुरुरइ, दरहित्ता सोसणवरगये पुरत्याभिमुहे सन्निसन्ने) " तएण मल्ली अरहा" इत्यादि _ -'तपण) त्या२६ (मल्ली अहा सीहासणाओ अव्भुट्टेइ) भी मत સિંહાસન ઉપરથી ઉભા થયા ( अन्भुट्टित्ता जेणेच मणोरमा सीया तेणेव उवागन्छ।, उवागच्छित्ता मणोरम सीय अणुपयाहिणी करेमाणा मणोरम सीय दुरूहित्ता सीदासगवरगए पुरत्यामि मुहे सन्निसन्नेि)
SR No.009329
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size34 MB
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