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________________ કર્દ माताधर्मकथा " मल्ली विदेहराजकन्या कुम्भक राजानमेव =पमागन हारेग, अनादीव-हे वात! यूय खलु अन्यदा-अन्यस्मिन् समये माम् ' एज्नमाण 'जमानाम् आगच्छन्तीं यावत् दृष्ट्वा, आहिने परिजानीय उत्सहे निरेसेह ' निवेशयव, कि = केन कारणेन खलु यूयमधोपहतमनः सकल्पो यावत्-ध्यायय= आर्त यान कृष्ण ? त =मल्लीवचनश्रवणानन्तर कुम्भको राजा मल्ली विदेहराज नरसन्यामेवमवादीत्हे पुत्र ! एवं खलु तर कार्ये हि कार्य निमित्तीकृत्येर्थ जितशत्रु प्रमुखैः पद्मराजभिर्दताः समेपिता ते खलु मया 'अमरारिया' अमत्कृताः अनाहता " को देखकर उस विदेहवरराजकन्या मल्लिकुमारी ने उन से पूजा-(तु ताओ अण्णा मम राज्जमाण जान निवेसेट, किष्ण तुम्भ अज्जे ओहमण कप्पे जाव झियायर) हे तात । पहिले जब कभी आप मुझे आती हुई देखते थे तो उस समय मेरा आदर करते थे मुझे जानते थे, और अपनी गोद में बैठा लेते थे परन्तु आज क्या कारण है जो आप अपहतमनः सकल्प होकर चिन्ताग्रस्त बैठे हुए है (तएण कुभए मल्लि विदेहरायनरकन्न एव वयासी ) इस प्रकार सुन कर राजाने अपनी विदेह राजवर कन्या मल्लीकुमारी से कहा ( एव खलुपुत्ता । तत्र कज्जे जिय सत्तूपमुखेरि उहि राई हिंदूया संपे सिया तेण मए असक्कारिया जाय निच्छूडा, तएण ते जियसत्तू पामी क्खा तेर्सि दूयाण अतिए एयमट्ट सोच्चा परिकुविद्या- ममाणा मिहिल रायहाणि निस्वार जाव चिट्ठति ) हे पुत्र ! तुम्हारे साथ वैवाहिक - ( तुम्भेण ताओ अण्णया मम एज्जमान जान निवेसेह किष्ण तुम्भ अज्जे ओहमण कप्पे जाब झियायह હે પિતા ! પહેલા ગમે ત્યારે મને આવતી જોતા ત્યારે મારી તમે આદર કરતા હતા, મને જાણી લેતા હતા અને મને પેાતાના ખેાળામા બેસા ડતા હતા પણ આજે શુ કારણ છે કે તમે ઉ૰ાસ થઈને આ ધ્યાનમા બેઠા છે ( तरण कुमएमल्लि विदेहयत्ररकन्न एव वयासी ) आ रीते रामसे विद्वेड રાજવર કંન્યાની વાત સાભળીને તેણે કહ્યું કે - (एव खलु पुता तत्र कज्जे जियमत्तूप्पमुखे हिं छर्दि राईहिं दूया सर्पसिया, तेन म असक्कारिया जान निच्छुडा, तएण ते जियसत्तू पामोक्खा तेसि दुयाण अविए एयम सोन्चा परिकुविया समाणा मिहिल रायदाणिं निमवार जाव विद्वति )
SR No.009329
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size34 MB
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