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________________ ૪૭૬ माता कथासूत्रे मल्ली विदेहराजकन्या कुम्भकं राजानमेन=पमागम कारण, अवाद- हे वाह! यूय खलु अन्यदा = अन्यस्मिन् समये माम् ' एज्नमाण 'राजमानाम् आगच्छन्ती यावत्-ट्वा, आदि, परिजानीय उत्सङ्गे निवेसेह' निवेशयथ, कि= केन कारणेन खलु यूयमद्योपहतमनः सकल्पो यावत्-ध्याययार्त यान कृरुष ? तत =मल्लीवचनश्रवणानन्तर कुम्भको राजा मल्ली विदेहराजयसन्यामेवमवादीत्पुत्र ! एव खलु तत्र कार्ये निरूप कार्य निमित्तीकृत्येर्य, जितशत्रु प्रमुख. पद्मी राजभिर्दूताः समेपिताः, ते खलु मया 'असारिया ' अमत्कृताः अनाहता को देखकर उस विदेश्वरराजकन्या मल्लिकुमारी ने उन से पूजा - (तुमे ण ताओ अण्णया मम एज्जमाण जात्र निवेसेह, किण्ण अज्जे तुभ ओहग्रमणसकप्पे जाच झियायर ) हे तात ! पहिले जब कभी आप मुझे आती हुई देखते थे तो उस समय मेरा आदर करते थे मुझे जान लेते थे, और अपनी गोद में बैठा लेते थे परन्तु आज क्या कारण है जो आप अपहृतमन. सकल्प होकर चिन्ताग्रस्त बैठे हुए है - (तएण कुमए मल्लि चिदेहरायपरकन्न एव वयासी ) इस प्रकार सुन कर राजाने अपनी विदेह राजवर कन्या मल्लीकुमारी से कहा ( एव खलुपुक्ता । तब कज्जे जिय सत्तूप्यमुखहि उहि राई हिंदूया संपे सिया तेण मए असस्कारिया जाव निच्छूडा, तएण ते जियसत्तू पामो क्खा तेर्सि दूयाण अ लिए एयम सोच्चा परिकुविद्या- ममाणा मिहिल रायहाणि निस्सचार जाव चिट्ठति ) हे पुत्रि । तुम्हारे साथ वैवाहिक - - ( तुब्भेण ताओ अण्णया मम एज्जमान जाव निवेसेह किष्ण तुन्भ अज्जे ओहमण कप्पे जाव झियायह હૈ પિતા / પહેલા ગમે ત્યારે મને આવતી જોતા ત્યારે મારા તમે બાદર કરતા હતા, મને જાણી લેતા હતા અને મને પોતાના ખેાળામા એન્નાડતા હતા પણ આજે શુ કારણ છે કે તમે ઉદ્મસ થઈને આ ધ્યાનમા બેઠા છે ( तरण कुभएमल्लि विदेहiratara एवं घयासी ) या रीते रामो विद्वेड રાજવર કન્યાની વાત સાભળીને તેણે કહ્યું કે (एव खलु पुता तव कज्जे जियसत्तूप्पमुखे हिं छर्हि राईहिं या सपेसिया, तेर्ण म असक्कारिया जाव निच्छुडा, तएण ते जियसत्तू पामोक्खा तेसिं दुयाण अतिए एयम सोच्चा परिकुत्रिया समाणा मिहिल रायहाणि निस्पचार जाव चिह्नति )
SR No.009329
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size34 MB
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