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________________ ६२६ ज्ञाताधर्मकथाले माज्ञापयत - प्रधार्थमाशां मा कुरुतेत्यर्थः तत्तस्मात् हे स्वामिन् ! यूप बल तस्य चित्रकरस्यान्य तदनुरूप चित्रकरापराधसदृश, दण्ड 'निव्यते ' निर्वर्तयत=कुरुत । ततः=चित्रकरश्रेणिसविनयवचनश्रवणानन्तर, सलु स मल्ल दत्तस्तस्य - मल्लीचित्र रचयितु, चित्ररूरस्य 'सडासग' सन्दगरुम् = करुनद्धयोः सन्त्रि नाडीरूपमि त्यर्थ, 'छिंदोवेइ 'छेदयति कर्तयतिस्म यत्त' सडासगति' हस्तो छेदपतिस्म' इतिव्याख्यात- तदज्ञानविजृम्भितम् तेत्रीय चित्रकरेण हस्तिनापुरे नगरे गत्वा पुनर्मल्लीचित्र रचितमित्येतदर्थं पनिरोधक पूलपाठ विरोधात् हस्तामाने चित्रलेखना तुम्भे ते चित्तगर वज्झ आणनेर ) इसलिये हे स्वामित! आप उस चित्रकार को मारने की आज्ञा प्रदान न कीजिये (त तुभेण सामो ! तस्स चित्तागरस्स अन्न तयाणुख्य दड निव्यत्तेर, तण्ण से मल्लदिन्ने तस्स चिगरस्स मासग जिंदावे, जिंदावित्ता निव्विसय आणवेड ) किन्तु हे नाथ ! आप उस चित्रकर को बताये गये इस चित्र के अनु सार किसी और दूसरे दड का निर्धारणकर दीजिये इस प्रकार चित्र कार श्रेणी के वचन सुनने के बाद मल्लदत्त कुमार ने उस मल्ली के चित्र बनाने वाले चित्रकार की उरु और जनाओं की सधि को छिदवा दिया-कतरवा दिया ( जो " सडासगति " किसी २ टीकाकार ने ऐसा मान कर 66 उस के दोनों हाथ कटवा दिये " इस प्रकार का व्याख्यान किया है वह ठीक नही ज्ञान होता है - कारण " इसी चित्रकार ने हस्तिनापुर में जाकर मल्ली कुमारीका चित्र रचा है" ऐसा जो आगे मूलपाठ आनेवाला उस त चित्तगर वज्म आणवेह ) मेथी हे स्वामिन् । तमे ते चित्रकारने भारवानी આજ્ઞા માડી વાળા ( त तुन्भेण सामी 1 तस्स चित्तागरस्स अन्न तयाणुरूप दड निव्वत्तेह, तरण से मल्लदिन्ने तस्स चित्तगरस्स सडासग छिंदा वेद, छिदावित्ता निव्त्रिसय आणवेइ) અને હે નાથ ! તમે ચિત્રકારને તે ચિત્ર ખદલ ખીજી ગમે તે સા કા આ પ્રમાણે ચિત્રકારાના વચન સાભળીને મલ્લન્તકુમારે મત્લીકુમારીનુ ચિત્ર મનાવનાર ચિત્રકારના ઉરુએ–જાધાઓના સાધાને કપાવી દીધા 66 स डास गति " भी प्रभाोना चाहना आधार सपने डेंटला टीअअरे। આમ માનતા થયા છે કે તે ચિત્રકારના અને હાથ પણ કપાવવામાં આવ્યા હતા પણ હકીકતમા આ વાત સત્યથી વેગળી છે કેમકે એ જ ચિત્રકાર આગળ હસ્તિનાપુરમાં જઈને ભલીકુમારીનું ચિત્ર
SR No.009329
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size34 MB
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