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________________ ३२६ माताभधा पत्तन-पोतनगर नौशारोहणस्यान पर्वते तत्रोपागच्छति, उपागस्य अटी. शाकटिक मुश्चन्ति, शरटीशाकटिका समूहापरिषत क्रयाणकादिक सर्व वस्तु जाव मवतारयन्ति, मुक्त्वास वस्तुजात शस्टेभ्योऽवतार्य पोवाहन-नौकायान सज्जयन्ति यथोचितनूतनोपकरणे परिष्कृत्य दृढ़ीकुर्वन्ति, सज्जयित्वा परिष्करणेन दीकत्य गणिमस्य च यावचतुर्विधस्य भाण्डकस्यन्क्रयाणकस्य भरन्ति-गणिमादि चतुर्विधक्रयाणकस्य स्थापनेन नौकायान पूरयन्ति स्मेत्यर्थः । तण्डुलाना च समितस्य गोधूमस्य गोधूमचूर्णनिप्पन्नपकानविशेषम्य च तेलकस्य च गुड़स्य च घृतस्य च गोरसस्य च उदकस्य च उदकमाननाना च औपधाना=त्रिकटुकादीनाम् पणे तेणेव उवागच्छति) फिर उन्हो ने क्याणको से भरी हुई गाड़ी और गाड़ों को जुत वाया-जुनयो कर फिर वे सत्र के सब चपा नगरी के ठीक बीचों बीच के मार्ग से होकर जहा गभीरक नाम का जहाज पर सवार होने का स्थान ( यदरगाह ) था वहा पर आये। . (उवागच्छित्तो सगड़ सागडिय मोयति, मोइत्ता पोयवरण सज्जेति सज्जित्ता, गणिमस्स य जाव चउन्विहस्स भडगस्स भरेंति) वां आकर उन लोगों ने अपनी गाड़ियों और गाड़ो को ढील दिया ढीलकर पोत यानों को सज्जित किया-यथोचित नूतन उपकरणों से दृढ़ किया। सज्जित करके फिर बाद में उस चतुर्विध गणिमादि रूप क्रयाणक को गाडियों और गाड़ी पर से उतार २ कर नौका यान में यथोचित स्थान पर भर दिया (तदुलाणय सभियस्स य तेल्लयस्त य गुलस्स य घयस्स यगोरयस्सय उदयस्स य उदयमाणाण य ओसहाण य भेसज्जा गभीरए पोयपट्टणे तेणेव उवागच्छति ) તેમને વેચાણના માલસામાનથી ભરેલી ગાડી અને ગાડાને જોતર્યા અને ત્યાર પછી તેઓ બધા ચ પા નગરીની બરાબર વચ્ચેવચ્ચેના ભાગથી પસાર થઈને જ્યાગભીરક નામનુ વહાણ પર બેસવાનું સ્થાન (બદર) હતુ ત્યા પહોચ્યા (उवागन्छित्ता सगडसागडिय मोयति इित्ता पोयवहण सज्जेंति, सज्जित्ता गणिमस्स य जाव चउब्धिहस्स भडगस्स भरेंति) ત્યા પહેચીને તેઓએ પિતાપિતાની ગાડીઓ તેમજ ગાડાઓને છેડીને યથેચિત નવીન ઉપકરણેથી વહાણ તૈયાર કર્યું વહાણને સુદઢ રીતે તૈયાર કરીને તેઓએ ગાડી તેમજ ગાડાઓની વેચાણની બધી વસ્તુઓ વહાણમા યથાસ્થાને ગોઠવી દીધી (तदुलाण य समियस्स य तेल्लयस्स य गुलस्स य घयस्स य गोरयस्स य उदयस्स य उदयमाणाण य ओसहाण य भेसज्जाग य त गस्स य, कट्ठस्स य आव
SR No.009329
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size34 MB
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