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________________ २६५ মানায় तितम नमोपवासरूप कुर्वन्ति । कृत्वाऽप्टादश कुन्ति कृत्वा विंशतितम कुर्वन्ति कृत्वा पोड न कुर्वन्ति, कृत्वाऽष्टादश कुर्वन्ति, कस्ला चतुर्दश कुर्वन्ति, कृत्वा पोडश कुर्वन्ति, कृत्वा द्वादश कुन्ति कृत्वा चतुर्दश कुर्वन्ति कृत्वा दशम कुर्वन्ति कृत्वा द्वादश कुर्वन्ति, कृत्वाऽष्टम कुर्वन्ति, कृत्वा दशम कुर्वन्ति कृत्वा पष्ठ कुर्वन्ति, क पारणा किया-फिर ९ उपचास किये ( करित्ता अट्ठारसम करेंति ) उस का पारणा किया-फिर ८ उपवास किये (करित्ता वीसइम करेंति) आठ उपवास करके उस का पारणाफिया-फिर ९ उपवास किये (करित्तो सोल सम करेंति) ९ उपवाम करके उस का पारणा किया-फिर ७ उपवास किये ( करित्ता अद्वारसम फरेंति) सात उपवास का पारणा किया-८ उपवास किये (करित्ता चोइसम करेंति ) उन आठ उपवास का पारणा किया-फिर ६ उपपास किये (करित्ता सोलसम करेंति) ६ उपवास का पारणो किया-फिर ७ उपवाम किये (करित्ता दुवालसम कति) ७ उपवास करके उस का पारना किया-फिर ५ उपवास किये (करिता चाउद्दसम करति) ५ उपवास करके उस का पारणा किया-फिर ६ उपवास किये (करित्ता दसम फरेंति)६ उपवास करके पारणा किया फिर ४ उपवास किये ( करित्ता दुवालसम करेंति) ४ उवास का पारणा किया-पारणा करके ५ उपवास किये ( करित्ता अट्ठम करेंति ) ५ उपवास का पारणा किया-फिर ३ उपवास किये (करित्ता दसम माह से 14 पासो र्या “करिता अदारसम करे ति” भने तेना पार ४ा त्या२ माह 13 64वास। यो “ करित्ता पीसइमकरे ति" 24 8 ९५ पास उरीन तेना पार। या त्यार पछी नप पास। र्या “ करित्तो सोलसम करे ति" 14 Bास ४ तेना पा२६॥ ४ा त्या२ मा सात उपासे ४ा " करित्ता अदारमम करे ति" सात उपासना पारया शन मा पासो र्या “करित्ता चोदसम करे ति" भने मा8 6वासोना पा२९।। र्या त्या२ पछी ७ पास या “करिचा सोलसम क्ररेति" छपवासाना पा२। ४श सात पास या “ करित्ता दुबालसम करे ति" सात पास उशन तेना पा२। र्या त्या२ माह पाय अपवासे ४ा “करित्ता चाउद्दसम करे ति" पाय 6वास शन तन। पा२। र्या त्या२ मा ७ 6वास! ४यो “करित्ता दसम करे ति ७ 64वासना पा२। ध्या, मने त्या२ पछी या२ पासे। ४. "करित्ता दुबालसम करे ति" या२ पासना पार उरीन पाय पासया करिता अट्रम करे ति" पाय 6पासना पार यो भने त्यार माह 6वासे या "करिता । " a
SR No.009329
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size34 MB
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