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________________ शाताधर्म कथा भोयावेत्ता अयमेयारूवं गोणं गुणनिफन्न नामधेज करे ति जम्हाणं अहं इमे दारए चहूणं नागपरिमाण य जाव वेसमणपरिमाण य उवाइयलई, तं होउ णं अहं इसे दारए देवदन्ने नामेणं, तरणं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधिजं करेंति देवदिन्नेति । तएणं तस्स दारगस्स अम्मापियरो जायं चदायं चमाय च अक्खयनिहि च अणुवद्वेति ॥ ६॥ ६०२ टीका—'तण्णं सा' इत्यादि - ततः खलु सा भद्रा सार्थवादी अन्यदा कदाचित् 'केण्डकालंतरेणं' केनापि कालान्तरेण= कियता कालान्तरेण 'आव नसत्ता जाया' आपन्नसत्वा जाता, यापन्नः = उत्पन्नः सच्चः = जीवो गर्भे यस्याः मा तथा गर्भवती जाता चाप्यासीत । ततः खलु तस्याः भद्रायाः सार्थवाद्या द्वयोर्मासियोsतिक्रान्तयोः सनोः तृतीये मासे वर्तमानेऽयमेतद्रवी दोहदः प्रादुसूतः -धन्याः खछता अम्बाः यावत् कृतलक्षणाः खलु ता अम्बाः, याः 'नपुण सा भवा सत्यवाही' इत्यादि । टीकार्य -- (ए) इसके बाद (या भद्दा सत्यवाही) वह भद्रा सार्थवाही (अन्नया कमाई ) किसी समय (केणइकालंतरेणं) कितने काल के अनन्तर ( आवन्नमत्ता जाया याच होत्या) गर्भवती हुई । (नएणं तीसे भद्दा सत्थनाहीए) इससे उस मद्रासार्थवाही के ( दोमु सासेसु वीडक्कतेसु) दो मास व्यतीत होने पर (नइए मासे वहमाणे) जब तीसरा मास प्रारम्भ हुआ तत्र (इमेयावे दोहले पाउब्यूए) इस तरह का यह वक्ष्यमाण दोहला उत्पन्न हुआ - (चन्नायो णं ताओ अम्सयाओ) वे माताएं धन्य हैं (जानकलक्ग्वगाओ णं तोओ अम्मयाओ) यावत् वे माताएँ कृत लक्षणा हैं 'तणं सा भवा मत्थवाही' इत्यादि । जाया टीअर्थ - ( नए) त्यार पछी (सा भद्दा सत्यवादी) लद्रासार्थवाही (अन्नया कथा) व (के गड कालंतरेणं) डेसाउंट समय जाट (आवन्नसत्ता यात्रि होत्या) गर्भवती थी (तए णं से अए स्थामा ४ न्यारे लद्रा सार्थवाहीने (दोस मासेसृ पूरा थया (ई सा माणे) नेत्रीले महिना दोहले पाऊभूए) या प्रमाणे होइढ थयुं – (वन्नाओ णं ताओ याओ) ते भाताओ ने धन्य ते ( जात्र कयलक्खणाओ णं ताओ अम्मयाओ सत्यवाहीए ) सगर्भाव वीडकंतेसु) मे महिना मेठी त्यारे (इमेयारूवे अम्म
SR No.009328
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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