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________________ अनगारधर्मामृतवर्षिणी टाका. अ१ २० मेघकुमारपालनादिवर्णनम् २५७ काभिः किरातदेशोत्पन्नाभिः१, “वामणी-बडभीर, बबरी२, बउसी३, जोणिया४. पल्हनिया५, इसिणिया६, धोरुगिणी७, लासिया८, लसिया, दमिलो १०, सिंहली११, आरवी१२, पुलिंदी१३, पक्कणी१४, बहली१५, मुरुंडी१६, सबरी१७, पारमीहि १८” बामनी-बडभी-वरी२, बकुसी३, योनिका४, पल्हविका५, ईशिनिका ६, धोरुकिनिका७, लासिका८, लकुसिका९, द्राविडी१० सिंहली११, आरबी१२. पुलिन्दी १३, पक्कणी१४, वहली१५, सुरुण्डी१६, सबरी१७, पारसीभिः१८, 'वामणी' वामनीभिः हस्तशरीराभिः, 'वडभी' बडभीभिः एकपार्श्वहीनाभिः एतादृशीभिः 'बब्बरी' बर्बरीभिःवर्षर देशसंभवाभिः२, 'वउसी' वकुक्षिकाभिः३ 'जोणिया' योनिकाभिः योनदेशोद्भवामिः४, पल्हविया पल्ह विकाभिः५ इसिगिया' ईशि निकाभिः६, 'धोरुगिणी' धोरुकिनिकाभिः७, 'लामिया' लासिकाभिः८, 'लउसिया' लकु. वामणि-वडभि-बयरि बडसि-जोणिय-पल्हविण--इसिणिया-धोगिणिलामिय-उसिय-उसिघ-दमिलि-मिहलि-आरचि-पुलिदि-पक्कणि-वहलिमुरुडि-सवरि-पारसीहि णाणादेसीहि विदेसवेसपरिमंडियाहिं इंगियणचिंतिय पत्थिय वियाणियाहि सदेसणेवत्थगहियवेहि निउणकुसलाहिं विणीयाहिं चडिया चक्कवालवारेस बरकंचुइमयर गरिंदपरिविम्व) अन्य अनेक कुन्जक शीर वाली किरात देश को त्रियों से (बोना) वामन शरीर वाली तथा एफपार्श्व से विहीन ऐसी वर्वर देश की दासीयों से कुश देश की वालियो से यौनदेश की दामियों से पहचाओ से ईशिनि कार्यों सेईजान देशकी दामियों से धोरुनिकाओं से धौरुनकदेश की दायियों से, लासिकाओं से लायकदेश की दासियों से.-लकुशदेश की बहूहि खुजाहिं, चिला गाणि वर्णडभि-बयरि-घडमि-जोणिय-पल्लविइमिगिया-धोरुगिणि-लामिय-ल उसिय-उसिय-दमिति-सिंहलो-आरशिपुलिदि-पक्कणि-वहलि-मुसंडि-मबरि पारसीहिं णाणादेसी हि निसवेय परिमंडियाहिं इंगिय चिंनिय पत्थिय विपानियाहिं सदेसणेवत्थगयि वेसाहि निउणकुसलाहिं विणीयाहिं चेडियाचक्कवालवरिसधाकंचुइ महयरगविंदपरिक्खित्ते मने मी घी ५८ शरी नीति शनी श्रीमाथी, ઠીંગણું શરીરની તેમજ એક તરફના પાની બર્બર દેશની દાસીઓથી, કુશદેશની દાસીઓથી, યૌનદેશની દાસીઓથી, પલ્લવિકાઓથી–પલ્હવદેશની દાતીઓથી, ઇશિમિકાઓથી-ઈશાનદેશની દાસીઓથી, ધીરુનિકાઓથી–ધોનકદેશની દાસીઓથી લકુશાઓલકુશદેશની દાસીએથી, દ્રાવિડીઓથીદ્રાવિડદેશની દાસીઓથી, સિંહલીએથી–સિંહલ 33
SR No.009328
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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