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________________ に ७५४ सा' एवमधिक प्रकरणवदेव अभवसिद्धिक राशियुग्म कृतयुग्म चतुरो युग्मानाश्रित्य चत्वार उद्देशका चक्तव्याः ||६६ - ६८॥ 'काउलेस्सेहिं विचार उद्देसगा' दहापि पूर्ववदेव कापोत छेश्यैः कापोतश्यामन्तर्भाव्यापि चतुरो युग्मानाश्रित्य चत्वार उद्देशकाः कर्त्तव्याः ||६९-७२॥ सेउलेसेर्दिविचत्तारि उद्देगा' तेजोलेश्यैरपि चत्वार उद्देशकाः इहापि पूर्ववदेव तेजोलेश्यामन्तर्भाव्याभवसिद्धिकराशियुग्मकृतयुग्मादि नारकाणां युग्मभेदात् चत्वार उद्देशकाः कर्तव्या इति ॥ ७२-७३ || भगवती सूत्रे नारकाणामपि टीकार्थ- 'एवं नीललेस्स अभवसिद्धिय रासिजुम्म कडजुम्म नेरइयाणं चत्तारि उद्देगा' औधिक प्रकरण के जैसे राशियुग्म में कृतयुग्म प्रमाण नीललेइयावाले अभवसिद्धिक नैरथिको के सम्बन्ध में भी चार उद्देशक कहना चाहिये । इस प्रकार ६५ वें उद्देशक से लेकर ६८ वें उद्देशक तक के चार उद्देशक ४१ वे शतक में समाप्त हुए ४१, ६५ - ६८ ॥ 'ered सेहिं वित्तारि उद्देसगा' इत्यादि ६९-७२। 'सेहिं विचत्तारि उद्देगा' पहिले के जैसे ही यहां पर भी कापोतलेइयावालों अभवसिद्धिक नैरयिकों के सम्बन्ध में चार युग्मों को आश्रित करके चार उद्देशक होते हैं, ऐसा जानना चाहिये। इस प्रकार ६९ वें उद्देशक से लेकर ७२ वें उद्देशक तक के चार उद्देशक ४१ वें शतक में 'समाप्त हुए । ४१,६९-७२॥ 'तेउलेस्से हि विचत्तारि उद्देजना' इत्यादि ७३-७६॥ टीअर्थ' - ' एवं ' नीललेस्स अभवसिद्धिय राखिजुम्म कडजुम्म नेरइयाणं चत्तारि उद्देसगा' गौधि! अ४२शुभां द्या प्रमाणे राशियुग्भमां द्रुतयुग्भ प्रभाथ नीसલેશ્યાવ ળા અભવસિદ્ધિક નૈરયિકાના સબંધમાં પણ ચાર યુગ્માને આશ્રય કરીને ચાર ઉદ્દેચાએ કહેવા જોઇએ, આ રીતે ૬પ પાંસઠમા ઉદ્દેશાથી લઇને ૬૮ અડસઠમા ઉદેશા સુધીના ચાર ઉદ્દેશાઓ સમાપ્ત ૪૧-૬૫ થી ૬૮ા 'काउलेसेहिं विचचारि उद्देसगा' इत्याहि टी. - ' कारल्लेसेहि वि चत्तारि उद्देसा' महेसानी प्रेम साडियां પણ કાપાતલેશ્યાવાળા અભવસિદ્ધિક નૈરયિકાના સંબધમાં ચાર યુગ્માના આશ્રય કરીને ચાર ઉદ્દેશાઓ થાય છે, તેમ સમજવું, આ પ્રમાણે ૬૯ આગણસિત્તરમા ઉદ્દેશાથી લઈને ચાર ઉદ્દેશાએ, સમાપ્ત शया ॥४१-६८ थी ७२॥ 'उसे िविचत्तारि उद्देगा' इत्यादि
SR No.009327
Book TitleBhagwati Sutra Part 17
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages812
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size54 MB
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