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________________ प्रमेयद्रिका टीका श०३० उ. १ सू०२ आयुर्वन्धनिरूपणम् जइ देवाउयं पकरेंति ? किं भवणवालिदेवाउयं एकरेंति जाव वेमाणियदेवाउयं पकरेंति गोयमा ! नो भवणवासिदेवाउयं पकरेंति, नो वाणमंतरदेवाउयं पकरेंति, नो जोइलिय देवाउयं पकरेंति, वैमाजियदेवाउयं पकरेंति । अकिरियाबाई णं भंते! जीवा किं नेरइयाउयं एकरेंति तिरिक्ख० पुच्छा, गोयमा ! नेरइयाउचं पिपकरेंति जाव देवाउयं पि एकरेंति । एवं अन्नाणियवाई वि वेणइयवाई वि । सलेहसाणं भंते! जीवा किरियावाई किं नेरइयाजयं पकरेंति, पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाज्यं पकरेति एवं जहा जीवा तहेव सलेस्सा वि चाहं वि समोसरणेहिं भाणियव्वा । कण्हलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियाबाई किं नेरइयाउ पकरेंति, पुच्छा, गोथमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति नो तिरिख जोगियाउयं पकरेति, मणुस्साउयं पकरेंति नो देवाउयं पकरेंति । अकिरियाबाई अन्नाणियवाई वेणइयवाई य चारिवि आउचाई पकरेंति । एवं नीललेस्सा वि काउलेस्सा वि । तेउलेस्सा णं भंते! जीवा किरियाबाई किं नेरइयाउयं पकरेंति पुच्छा, गोयसा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति नो तिरिक्लजोणियाउयं पकरेति, मणुस्लाउयं पकरेति, देवाउयं पिपकरेति । जइ देवाउयं पकरेंति तहेब । तेउलेस्सा णं भंते! जीवा 'अकिरियाबाई किं नेरझ्याउयं पुच्छा, गोयसा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति मणुस्ताउयं पिपकरेंति तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति, देवाउयं पिपकरेति । एवं अन्नाणियवाई वि वेणइय - वाई वि जहा तेउलेस्सा, एवं पहरेस्ता वि सुकलेस्सा वि नायव्वा । सलेस्सा ंां संते ! जीवा किरियाबाई किं नेरइयाउयं पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति नो तिरिक्ख० नो मणुस्स० 1
SR No.009327
Book TitleBhagwati Sutra Part 17
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages812
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size54 MB
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