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________________ भगवतीस्त्रे ओयपएसिए से जहन्नेणं सत्तपएसिए सत्तपएमोगाढे पन्नत्ते,' उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेज्जपएसोगादे पन्नत्ते, तत्थणं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं बत्तीसपएसिए बत्तीसपएसोगाढे पन्नत्ते, उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेज्जपएसोगाढे पन्नत्ते । तंसे भंते! संठाणे कइ -पएसिए कइपएसोगाढे पन्नत्ते? गौयमा! तंसे णं संठाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा-घणतंसे ये पयरतंसे य। तत्थ णं जे से पयरतंसे से दुविहे पन्नत्ते तं जहा ओयपएसिए य जुम्मपएलिए य। तत्थणं जे से ओयपएसिए से. जहणेणं तिपएसिए तिपएसोगाढे पन्नत्ते, उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेज्जपएसोगाढे पन्नत्ते । तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं छप्पएसिए छप्पएसोगाढे पन्नत्ते, उक्कोसेणे अणंतपएसिए असंखेज्जपएसोगाढे पन्नत्ते। तत्थ णं जे से घणतंसे से दुविहे पन्नत्ते तं जहा-ओयपएसिए जुम्मपएसिए य। तत्थणजे से ओयपएसिए से जहन्नणं पणतीसपएसिए पणतीसपएसोगाढे उकोसेणं अणंतपएसिए तं चेव । तत्थ णंजे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं चउप्पएसिए चउप्पएसोगाढे पन्नत्ते, उक्कोसेणं अणंतपएसिए तं चेव । चउरंसे णं भंते ! संठाणे कइपएसिए पुच्छा, गोयमा ! चउरंसे संठाणे दुविहे पन्नत्ते, भेओ जहेव वट्टस्स जाव तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं नवपएसिए नवपएसोगाढे पन्नत्ते, उक्कोलेणं अणंतपएसिए असंखेज्जपएसोगाढे पन्नत्ते। तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए, से जहन्नेणं
SR No.009325
Book TitleBhagwati Sutra Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages972
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size59 MB
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