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________________ - - भगवतीस्त्रे ४२६ कालादेगेन त जयन्येन सानिरेका पूर्व कोटि देशभिवर्षसहस्ररभ्यधिका उत्कृष्टतच. वारि पन्योपानि इति । 'सखेजवानाउयसन्निमणुस्से जव नागकुमारुद्देयए' गन्ये वयष्कमतिमनुप्यो यथैव नागकुरारपसरणे वर्णितः, तेनैव रूपेण उहामि निपणीय उत्पादपरिगाणादिद्वारैरिति । 'नवरं वाणमंतरे ठिई संवेहं च जाणेना नरम्- केवलम् अत्र वानन्यन्तरप्रकरणे संख्येयवर्पायुष्कसंझिमनुप्यागां स्थितिमंधी विभिन्नी सस्वस्थितिप्रमाणेन ज्ञातव्याविति भावः 'सेवं भंने : मेयं भने नि नदेवं भदन्त ! नव भदन्त ! वानव्यन्तराणां तत्तद्गतिभ्य आगत्य नमुन्यमानानामुपादपरिमागादि यद्देशानुमियेण कधितं तत्सर्वम् एवमेव नियंध या का नया है वैसा कहना चाहिये । अवादेश से वह काय. मंध नागकुमार के प्रकरण जैसा ही है साल की अपेक्षा वह जघन्य से दश हजार वर्ष अधिक सानिरेक पूर्वकोटि का है और उत्कृष्ट से चार पन्योरम का है । 'संखेन्जवासाउयमन्नि मणुरले जहेब नागकुमारुदेसए' जिम्न प्रकार से नागकुमार के उद्देश में संख्यातवर्षीयुष्क सज्ञी मनुष्य की वक्तव्यता की गई है वहीदी वाव्यता उस संख्यातवर्षायुष्क नंजी मनुष्य की उत्राद परिमाण आदि द्वारों द्वारा यहां पर भी कहनी परिये । 'नवरं' पर विशेष ऐसा है कि 'चाणमंतरे ठिई संवेहं च जाणेजा' या वानन्यान्तर' प्रकरण में मध्यातवर्षायष्क संज्ञी मनुष्यों की शिनि और मवेध अपनी स्थिति के प्रमाण से भिन्न २ जानना पाहिये । 'सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' हे भदन्त | उन २ गतियों से आ ममुपदामान वानव्यन्तरो के उत्पाद परिमाण आदि जो आप કરે જઈ એ. વાણી તે કાયસંધ નાગકુમારના પ્રકરણ પ્રમાણે જ ની દિધી તે જઘન્યથી દસ હજાર વર્ષ અધિક સાતિરેક પૂર્વ 12 . ने 20 या२ पक्ष्या५ना छे 'संखेज्जवासाउयमन्नि म ऐच नागरमागहेन' नागभाना देशामा रे प्रभारी सभ्यात ન જાવમણી મનુષ્યના સબંધમાં કથન કરવામાં આવ્યું છે. જ પ્રદો કાન આ સંખ્યાત વર્ષની આયુષ્યવાળા સંસી મનુષ્યના .५६, विकास र से य . 'नवरं परंतु EAR. 2-माणगंगरे ठिा संवेहच जाणेजा' अहिया वान* ૧ : પ્રકરણ અંગ્ય ત વર્ષની વયુષ્યવાળ સંસી મનુષ્યની સ્થિતિ એવધ પાનાની સ્થિતિ કરતાં જુદા જુદા સમજવી જોઈએ. म मरे । ! नि'२ पाप त त गतियाथी जापान • પનીર પન વ્યંતરના ઉત્પાદ પરિમાણ વિગેરે આપ દેવાનુપ્રિયે જ
SR No.009325
Book TitleBhagwati Sutra Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages972
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size59 MB
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