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________________ प्रमेयचन्द्रिका का श०२४ उ.२ सू०३ मनुष्येभ्यो असुरोत्पादादिकम् १०१ शेषम्-शरीरावगाहनातिरिक्तम् उत्पादसंहननसंस्थानलेश्यादृष्टिसमुद्घातज्ञानाज्ञानयोगोपयोगस्थित्यनुवन्धकायसंबेधादि सर्वमपि तिर्यकमकरणवदेव ज्ञातव्यमिति भावः । 'तईयगमे ओगाहणा जहन्नेणं तिन्नि गाउयाई तृतीयगमे तु शरीरावगाहना भिव्यतिममाणा जघन्येन, 'उक्कोसेण मि तिन्नि गाउयाई उस्कर्षेणाऽपि शरीरावगाहना त्रिगव्यतिषगाणैवेति । 'सेसं जदेव तिरिक्खजोणियाणं' तृतीयगमे शेष यथैव तियग्योनिशानाम् शरीरावगाइनाऽतिरिक्तं सर्वमपि लेश्यादृष्टिसंज्ञासमुद्घातज्ञानाज्ञानयोगोपयोगादिकर यमत्रयेऽपि तिर्यग्योनिकगमत्रयवदेव बोद्धव्यम् इति तृतीयगा ३ । मध्यमगमत्रिकान्तर्गतगमत्रयं मध्याव आयु के समान ही आयुष का बन्धक होता है । 'सेसं तं चेव' इस कथन से अतिरिक्त और जो कथन उत्पात संहनन संस्थान, श्या, दृष्टि, समुद्घोत, ज्ञानाज्ञान योग, उपयोग, स्थिति अनुबन्ध एवं कायमंवेध आदि हैं वह सब भी लियंग प्रकरण के जैसा ही जानना चाहिये ! 'तईयगमे ओगाहणा जल्न्नेणं तिन्नि गाउयाई तृतीय गम में अवगाहना जघन्य से तीन गव्यूति प्रमाण ही है। और 'उकोसेर्ण वि०' उस्कृष्ट से भी वह तीन गव्यूति प्रमाण ही है। 'सेसं जहेव तिरिक्खजोणियाणं' तृयीय गम में शेष कथन तिर्यग्योनिकों के जैसा ही है, अर्थात् शरीरावगाहना से अतिरिक्त और सब भी लेश्या दृष्टि संज्ञा, समुद्घात, ज्ञानाज्ञान, योग एवं उपयोग आदि सब गमत्रय में भी तिर्यग्योनिक गमत्रय के से ही जानना चाहिये । ऐसा यह तृतीय गम है ३। तं चेव' मा ४थन शिवाय भी रे या, सनन, संस्थान, वेश्या, દૃષ્ટિ સમુદ્રઘાત, જ્ઞાન અજ્ઞાન, રોગ, ઉપયોગ, સ્થિતિ, અનુબંધ, અને કાયવેધ સંબંધનું કથન છે, તે તમામ તિર્યંચના પ્રકરણમાં કહ્યા પ્રમાણે सभ७ . 'तईयगमे ओगाहणा जहण्णेणं तिन्नि गाउयाइ' श्री गममा भव. गाना न्यथा त्यति प्रभाग छ, अने, 'उक्कोसेणं वि. . स्था र अन्यूति प्रमाण १ छ. भने 'सेस जहेव तिरिक्खजोणियाण' की ગમમાં બાકીનું કથન તિર્યચનિકેતની જેમ જ છે અર્થાત્ શરીરની અવ. ગાહના શિવાય બીજુ તમામ વેશ્યા, દષ્ટિ, સંજ્ઞા, સમૃદુઘાત, જ્ઞાન અજ્ઞાન, ચાગ અને ઉપગ વિગેરે તમામ ત્રણે ગમેમાં પણ તિર્યંચ જેનિકના ત્રણ ગમ પ્રમાણે જ સમજવું જોઈએ. આ રીતે આ ત્રીજે ગમ છે. भ० ७६
SR No.009324
Book TitleBhagwati Sutra Part 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1970
Total Pages683
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size42 MB
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