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________________ ०६ ' भगवतीस्त्र स्निग्धः, देशो रूक्षः १३, देशाः शीताः देशा उष्णाः, देशा स्निग्धः, देशा रुक्षाः १४, देशाः शीताः, देशा उष्णा, देशाः स्निग्धाः, देश: रूक्षः १५, देशा शीता, देशाः उष्णाः, देशाः स्निग्धाः, देशाः रूक्षाः १६ इनमें प्रथम भा शीत, उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष इनके एकत्व को लेकर हुआ है, द्वितीय भंग रूक्ष पद में अनेकत्व और शेष पदों में एकत्व को लेकर हुआ है, तृतीय भंग तृतीय स्निग्ध पद में अनेकत्व और शेष पदों में एकत्व को लेकर हुआ है, चतुर्थ भंग तृतीय और चतुर्थ पद में अनेकत्व और शेषपदों में एकत्व को लेकर हुआ है, पांचयाँ अंग द्वितीय पद में अनेकत्व और शेषपदों में एकत्व को लेकर हुआ है, छट्ठा भंग इतीय और चतुर्थपद में अनेकत्व को एवं शेषपदों में एकत्व को लेकर हुआ है, सातवां भंग द्वितीय और तृतीयपद में अनेकत्व और शेषपदों में एकत्व को लेकर हुआ है, आठवां भंग द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ पद में अनेकत्व को एवं शेषपद में एकत्व को लेकर के हुआ है, नौवां भंग प्रथमपद में अनेकत्व को और शेष पदों में एकत्व को लेकरके हुआ है, १० वां भंग प्रथमपद में और चतुर्थपद में अनेकत्व को लेकर के एवं शेषग्दों में एकत्व को लेकर हुआ है, ११ वां भंग प्रथम तृतीयपद में अनेकत्व को और शेषपदों में एकत्व को लेकर के हुआ है, १२वां भंग प्रथमपद में तृतीयपद में और चतुर्थ पद में अने. कस्य को लेकर तथा शेषपद में एकत्व को लेकर के हुभा है, १३ वा भंग प्रथमपद में और द्वितीय पद में अनेकत्व को लेकरके एवं शेषपदों में एश्य को लेकर के हुआ है, १४ वां भंग प्रथमपद में, द्वितीयपद 'देशा शीताः देशाः उष्ण : देशः स्निग्धः देशो रूक्षः१३' मन देशमा ४४ २५शવાળો અનેક દેશોમાં ઉણું સ્પેશવાળે કેઈ એક દેશમાં સ્નિગ્ધ-ચિકણું સ્પર્શવાળો અને કઈ એક દેશમાં રૂક્ષ સ્પર્શવાળ હોય છે. આ ભંગમાં પહેલા અને બીજા પદમાં અનેકપણાને લઈ બહુવચન તથા બાકીના પદે માં माने यनथी मातेर म थय। छ. १३ देशाः शीताः देशाः उष्णाः देशः स्निग्धः देशाः रूक्षाः१४' अनः देशमi ते ४ २५शवाणे। અનેક દેશમાં ઉણ સ્પર્શવાળ કઈ એક દેશમાં સ્નિગ્ધ સ્પર્શવાળે અને અનેક દેશમાં રૂક્ષ સ્પર્શવાળે હોય છે. આ ભંગમાં પહેલા બીજા અને ચોથા પદમાં અનેકપણાને લઈ બહુવચન તથા ત્રીજા પદમાં એકપણાની ज्ञासाथी सवयनयी मा योहमा सथयो छे. १४ 'देशाः शीता देशाः
SR No.009323
Book TitleBhagwati Sutra Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages984
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size63 MB
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