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________________ मैचन्द्रिका टीका श०२० उ०५ ०४ षट्प्रदेशिकस्कन्धे वर्णादिनिरूपणम् ६८९. 1 कालए य नीलगाय लोहियग़ा २४, सिय कालगा य नीलए य लोहियएं यें, 'सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य६,' स्यात् कालो नीलो लोहितका २ २१, स्यात् कालो नीलाश्च लोहितश्च ३, स्यात् कालो नीलाच लोहि श्र४, स्यात् कालाथ नीलश्च लोहितश्चेति पश्चमः ५, स्यात् कालाथ नीलथ वह कदाचित् कृष्णवर्ण वाला नीलवर्ण बाला एवं अनेक प्रदेशों में लोहितवर्ण वाला हो सकता है २, या- 'सिय कालए य नीलगा ये लोहियए य ३' एक प्रदेश में वह कृष्णवर्ण वाला अनेक प्रदेशों में areef वाला और एक प्रदेश में लोहितवर्ण चाला हो सकता है है, या - ' सिय कालए य नीलगाय लोहिया य ४' वह एक प्रदेश में कृष्णावर्ण वाला अनेक प्रदेशों में नीलेवर्ण वाला और अनेक प्रदेशों में लालवर्ण वाला हो सकता है ४, या - 'सिय कालगा य नीलए य लोहियए य ५' वह अनेक प्रदेशों में कृष्णवर्ण वाला एक प्रदेश में नीलेवर्ण वाला और एक देश में लालवर्ण हो सकता है ५, या 'सिय कालगा य नीलए य लोहिया व ६' वह अपने अनेक प्रदेशों में कृष्णवर्ण वाला भी हो सकता है एक प्रदेश में नीलवर्ण वाला हो सकता है और अनेक प्रदेशों में लोहितवर्ण वाला भी हो सकता है ६ 'जाब सिय कालगा य, नीलगा य लोहियए ७' या वह अपने अनेक प्रदेशों में कृष्णवर्ण वाला भी हो कोहियगा य २' अर्ध वार ते पोताना मेड अहेशभां अजावाणु वाणी હાય છે. કોઈવાર તે પેાતાના એક પ્રદેશમાં નીલવણુ વાળા હાય છે. અને અનેક પ્રદેશેામાં લાલવ વાળા હાય છે. આ બીજો લોંગ છે. ૨ • सिय कालए य नीलगाय लोहियए य३' मे प्रदेशभां ते अजा वायु वाणी हाथ है. અનેક પ્રદેશેામાં નીલત્રણવાળા હાય છે તથા કેઈ એક પ્રદેશમાં લાલવણુ वाणी होय छे. उ मा श्रीले अंग छे. 'सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य ४' એક પ્રદેશમાં તે કાળાવશુ વાળા હાય છે અનેક પ્રદેશમાં નીલવર્ણવાળા હાય છે તથા અનેક પ્રદેશેામાં લાલ વણુ વાળા હાય છે. આ ચેાથા ભ ́ગ છે. ૪ सिय कालगा य नीलए य लोहियए य५' ते मने अशोभां भणावार्थ वाणी હાય છે. એક પ્રદેશમાં નીલવણુ વાળા હાય છે તથા એક પ્રદેશમાં લાલવણુ वाणी होय छे, मा पथमा लौंग छे, ५ ' सिय कालगाय नीलए य लोहिय गाय ६' ते पोताना भने प्रदेशोभां भावार्थ वाणी होय छे. मे अहेशभां નીલવળુ વાળો હાય છે તથા અનેક પ્રદેશામાં લાલવણવાળા હાય છે. આ छठ्ठी लग छे. ६ 'जाव खिय कालगा य नीलगा य लोहियए य ७' अथवा ते ગાંતાના' અનેક પ્રદેશામાં કાળાવ વાળા હોય છે, અનેક પ્રદેશામાં નીલવર્ણ भ० ८७
SR No.009323
Book TitleBhagwati Sutra Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages984
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size63 MB
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