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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०१९ उ०३ सू०३ पृथ्वीकायिकानां सूक्ष्मत्वनिरूपणम् ३५१ कानि शरीराणि 'से एगे सुहुमे पुढवी सरीरे' तदेकं सूक्ष्मं पृथिवी शरीरम् 'असंखेज्जाणं सुहुमपुढवीकाइयसरीराणं' असंख्येयानां सूक्ष्मपृथिवीकायिकशरीराणाम् 'जावइया सरीरा' यावत्कानि शरीराणि 'से एगे बादरवाउसरीरे तदेकं वादरवायुशरीरम् 'असंखेज्जाणं बादरवाउकाइयाणं' असंख्येयानां वादरवायुकायिकानां जीवानाम् 'जावइया सरीरा' यावत्कानि शरीराणि 'से एगे बादरतेउसरीरे' तदेकं बादरतेजः शरीरम् 'असंखेज्जाणं बादरतेउकाइयाणं जावइया सरीरा' असंख्येयानां बादरतेजस्कायिकानां जीवानाम् 'जावइया सरीरा' यावत्कानि शरीराणि 'से एगे बादर आउ सरीरे' तदेकं बादरा शरीरम् 'असंखेज्जाणं वादरआउकाइयाणं जावइया सरीरा' असंख्येयानां वादराकायिकानां यावत्कानि शरीराणि 'से एगे सूक्ष्म अपूकायिक जीव का होता है । असंखेज्जाणं सुहम 'आउकाइयसरीराणं.' असंख्यात सूक्ष्म अकायिक जीवों के जितने शरीर होते हैं से एगे सुहुमे पुढवी सरीरे० उतना एक शरीर एक सूक्ष्म पृथिवी. कायिक का होता है। 'असंखेज्जाणं सुहमपुढचीकास्यसरीराणं' असंख्यात सूक्ष्म पृथिवीकायिक जीवों के जितने शरीर होते हैं 'से एगे पादरवाउसरीरे उतना एक शरीर एक बादवायुकायिक जीव का होता है 'असंखेजाणं बादवाउकाइयाणं.' असंख्यात बादचायुकायिकों के जितने शरीर होते हैं उतना एक शरीर बादर तेजस्कायिक एक जीव का होता है । 'असंखज्जाणं बादर तेउकाइयाणं' असंख्यात बादर तेजस्कायिक जीवों के जितने शरीर होते हैं 'से एगे पादराउसरीरे' उतना एक शरीर एक पादर अपूकायिक का होता है 'असंखेज्जा णं बादर आउकाइयाणं' असंख्यात बादर अप्कायिक जीवों के जितने मसभ्यात सूक्ष्म माय: wवाना २८वा शशर हाय छ, 'से एगे सहमे पुढवीसरीरे०' तर मे शरीर मे सुक्ष्म पृथ्विायिनुसाय छे. 'असंखेज्जाण' मुहुम पुढयीक इयसरीराण'०' असभ्यात सूक्ष्म पिाय: वाना २८मा शरीर डाय छ, 'से एगे पादरवाउसरीरे' मेट से शरीर में मा४२ वायुयि नु डाय छे. 'असंखेज्जाण' बादरवाउकाइयाण' मस ખ્યાત બાદર વાયુકાચિકેના જેટલા શરીર હોય છે, તેટલું એક શરીર બાદર यि पाय छे. 'असंखेज्जाण बादर वेटकाइयाण'' असभ्यात माह त य ७वाना रेखा शरी। हाय छ, 'से एगे बादर आउसरीरे' मेरो शरीर मा २ मयि य छे. 'असखेजाण' बादर आउकाइयाण'०' मध्यात माह२ मयि लवान २८मा शरी। हाय
SR No.009323
Book TitleBhagwati Sutra Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages984
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size63 MB
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