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________________ ३४८, .. भेगवतीसूत्रे न्येस्स तेउकाइयस्त वाउकाइयस्स' पृथिवीकायिकस्य अकायिकस्य तेजस्कायिकस्य वायुकायिकस्य 'कयरे काए' कतरः काया का कायः 'सव्ववायरे' सर्ववाद:सर्वेभ्यो वादर इत्यर्थः 'कयरे काए सव्वयायरतराए' कतरः काया सर्ववादरतरका सर्वेभ्योऽतिशयेन चादरतरकः क इवि प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि । गोयमा' हे गौतम ! 'पुढवीकाइए समवायरे' एषु चतुर्यु पृथिवीकायः सर्ववादरः 'पुढवीकाए सबवायरतराए' पृथिवीकायः सर्ववादरतरकः एषु सर्वातिशायीवादरः पृथिवीकाय एवेतिभावः २ । 'एयस्स गंभंते ! 'एतस्य खलु भदन्त ! 'आउक्काइयस्स' अकायिकस्य 'तेउकाइयस्स' तेजस्कायिकस्य 'वाउकाइयस्स' वायुकायिकस्य 'कयरे काए सव्यवायरे' एपु त्रिपु कतरः कायः सर्ववादरः कयरे काए सबवादरतराए' कतरः कायः सर्ववादस्तरका एषु सर्वापेक्षयाऽतिवादरः का इति प्रश्ना, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! 'आउक्काए अकाधिक तेजस्कायिक और वायुकायिक इन चार जीवनिकायों में 'कौनसाजीवविकाय सर्व से चादर और सर्व से बादतर है ? उत्तर में प्रभुने कहा-'गोयमा' हे गौतम ! 'पुढयीकाइयस्स.' इन चार जीवनिकायों के बीच में पृथिवीकाय ही सब से बादर है और पृथिवीकाय ही सब से अधिक पादरतर है २ अघ पृथिवीकाय को छोडकर गौतम तीन जीवनि'कायों में सर्व बादताऔर सर्व बादतरता जानने के लिये प्रभु से ऐसा '' पूछते हैं 'आउकाइयस्स तेउकाइस्स० हे भदन्त अपूकायिक, तेजस्कायिक और वायुकायिक इन तीन जीवनिकायां में कौनसा निकाय सर्व चादर और पादतर है ? उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोषमा आउक्काए सव्व. કાયિક આ ચાર જવનિકામાં કયા જવનિકાય સર્વથી બાદરતર છે? તેના उत्तरमा प्रभु ४३ छ ?--गोयमा !' गीतम! 'पुढवीकाइयस्स.' मा यार છત્રનિકામાં પૃથ્વિકાવિક જ બધાથી બાદર છે. અને પૃથ્વિકાયિક જ સૌથી અધિક બાદરતર છે. હવે પૃવિકાયિકને છોડીને ગૌતમ સ્વામી ત્રણ જીવ नियामा सव माहरा तया माटे प्रभुने मे पूछे छे है-'आउकाइयस्स उझाइयस्स०' सान् यि: शायि भने वायुायि मा ३ જવનિકામાં કયા જવનિકાય સર્વ બાદર અને બાદરતર છે?તેના ઉત્તરમાં 'प्रभु ४ छ है-'गोयमा !' आउक्काए सब वायरे' गौतम ! मात्र पनि
SR No.009323
Book TitleBhagwati Sutra Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages984
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size63 MB
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