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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका २०१८ उं० ७ ० ७ देवानां कर्मक्षपणनिरूपण १५५ हमो भगवन्तं वन्दते नमस्यति वन्दित्वा नमस्थित्वा संयमेन तपसा आत्मानं न विहरतीति ॥० ७ ॥ इति श्री विश्वविख्यात - जगवल्लभ - प्रसिद्धवाचक - पञ्चदशभाषाकलितललितकला पालापकमविशुद्ध गद्यपद्यनैकग्रन्थ निर्मापक, वादिमानमर्दक - श्री शाहच्छत्रपति कोल्हापुरराजप्रदत्त - 'जैनाचार्य' पदभूषित - कोल्हापुरराजगुरुबालब्रह्मचारि - जैनाचार्य - जैनधर्मदिवाकर - पूज्य श्री घासीलालवतिविरचितायां श्री "भगवती सूत्रस्य" प्रमेयचन्द्रिकाख्यायां व्याख्यायां अष्टादशशत के सप्तमोद्देशः समाप्तः ॥ १८-७॥ पाठ गृहीत हुआ है | तथा 'ते देवा जाव पंचहि वाससयसहस्सेहिं' में आगत यावत्वद से 'जे अणंते कम्मंसे जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तिर्हि वा उक्को सेणं' यहां तक का पाठ गृहीत हुआ है || सू० ७|| जैनाचार्य जैनधर्मदिवाकर पूज्यश्री घासीलालजी महाराजकृत "भगवती सूत्र " की प्रमेयचन्द्रिका व्याख्या के अठारहवें शतकका सातवां उद्देशक समाप्त ॥ १८-७ ॥ या ग्रहणु उरायो है, तथा वे देश जाव पंचहिं वाससयस हस्सेहि" मा वाध्यमां आपेस यावत्पथी "जे एणते कम्म से जहन्नेणं एक्केणं वा दोहिं वा तिहि वा उक्कोसेणं” मडि सुपीनो या ग्रहण हराये छे. ॥ सू. ७ ॥ જૈનાચાય જૈનધમ 'દિવાકર પૂજ્યશ્રી ઘાસીલાલજી મહારાજ કૃત “ભગવતીસૂત્ર”ની પ્રમેયચન્દ્રિકા વ્યાખ્યાના અઢારમા શતકના સાતમે ઉદ્દેશક સમાસા!૧૮ના
SR No.009323
Book TitleBhagwati Sutra Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages984
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size63 MB
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