SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 93
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १२ ३० ४ सू० १ परमाणुपुरलनिरूपणम् ७१ स्कन्धो भवति, एकतः-अपरभागे संख्येयप्रदेशिकः स्कन्धो भवति, 'अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति' "अथवाएकता-एकमागे द्वौ परमाणुपुद्गलौ भवतः, एकत-अपरभागे द्वौ संख्येयप्रदेशिको स्कन्धौ भवतः, 'अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयओ दुप्पएसिए, एगयओ दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति' अथवा एकतः-एकभागे परमाणुपुद्गलो भवति, एकता-अपरभागे द्विपदेशिकः स्कन्धो भवति, एकता-अन्यभागे द्वौ संख्येयमदेशिको स्कन्धौ भवतः, 'जाव अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयो दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति' यावत्-एकतः परमाणु पुद्गलो भवति, एकतः त्रिप्रदेशिकः, चतुष्पदेशिकः, पञ्चप्रदेशिकः षट्भदेशिका, अथवा एक भाग में दो परमाणुपुद्गल होते हैं, अपर भागमें एक दशप्रदेशी स्कन्ध होता है और अन्य भाग में एक संख्यातप्रदेशी स्कंध होता है, (अहवा-एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दो संखेज्ज. पएसिया खंधा भवंति,) अथवा एक भाग में दो परमाणुपुद्गल होते हैं, और अपरभाग में दो संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होते हैं, 'अहवा-एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुप्पएसिए एगयओं दो मंखेज्जपएसिया खंधा भवंति अथवा एकभाग में एक परमाणुपुद्गल होता है, एक भाग में एक विप्रदेशी स्कंध होता है, और एक भाग में दो संख्यात प्रदेशी स्कंध होते हैं, 'जाव अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयओदो संखेमपएसिया खंधा भवंति' यावत् अथवा एक परमाणुपुगल होता है, एक भाग में त्रिप्रदेशिक, चतुष्पदेशिक, पंचप्रदेशिक, छहઅથવા એક એક પરમાણુ પુલવાળા બે વિભાગ, દસ પ્રદેશિક સ્કંધ રૂપ ત્રી વિભાગ અને સંખ્યાત પ્રદેશ સ્કંધ રૂપ ચેરી વિભાગ થાય છે. "अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गठा, एगयमो दो संखेनपएसिया खंघा भवंति" અથવા એક એક પરમાણુ યુદ્ગલવાળા બે વિભાગે અને સંખ્યાત પ્રદેશી मे २४५३५ भी विमो थाय छ, “अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुप्पएसिए, एगयओ दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति" अथवा પરમાણુપુલવાળે પહેલે વિભાગ, દ્ધિપ્રદેશિક એક સ્કંધ રૂપ બીજે વિભાગ भने सध्यात २४५३५ श्री मन या GिRIL मन छ, “जाव महवा एगयओ परमाणुपोगळे, एगयओ दसपएसिए खंघे, एगयओ दो संखेज्ज पएसिया खंधा भवंति" अया- भागमा मे ५२भात, मील ભાગમાં ત્રિપ્રદેશિક અથવા ચાર પ્રાદેશિક, અથવા પાંચ પ્રદેશિક, અથવા છ
SR No.009320
Book TitleBhagwati Sutra Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages743
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy