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________________ भगवती सूत्रे ६२४ भवनवासिनः, वानव्यन्तराः, ज्योतिषिकाः, वैमानिकाः । गौतमः पृच्छति - 'भवण वाशीण भंते ! देवा करविहा पण्णत्ता ? ' हे भदन्त | भवनगसिनः खलु देवाः कतिविधाः प्रज्ञप्ताः ? भगवानाह - ' गोयमा ! दसविदा पण्णत्ता' हे गौतम ! दशविधा भवनवासिनो देवाः मज्ञप्ताः, 'तं जहा - असुरकुमारा एवं भेमो जहा वितियस देवदेस जान अपराजिया सव्नहसिद्धगा' तद्यथा - अमुरकुमाराः, एवं रीस्या भेदः देवप्रकारो, यथा द्वितीयशतके सप्तमे देवोदेश के प्रतिपादितस्तथैव अत्रापि प्रतिपादनीयः, यावत् - नागकुमाराः, सुवर्णकुमाराः, अग्निकुमाराः, विद्युत्कुमाराः, उदधिकुमाराः, द्वीपकुमाराः पवनकुमाराः, दिशाकुमाराः, स्वनितकुमाराः, वानव्यन्तराः, अष्टौ ज्योतिषिकाः पञ्च वैमानिकाः सौधर्मेशानादयो द्वादश, वैमाणिया' भवनवासी, वानव्यन्तर, ज्योतिषिक और वैमानिक, अब गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं-भवणवासी णं भंते । देवा कइविहा पण्णत्ता' हे भदन्त ! जो भवनवासी देव हैं वे कितने प्रकार के कहे गये हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं - 'गोयमा' हे गौतम ! 'दस विहा पण्णत्ता' भवनवासी देव १० प्रकार के कहे गये हैं । 'तं जहा' जो इस प्रकार से हैं - ' असुरकुमारा एवं भेओ जहा वितियसए देवदेसए जाव अपराजिया सव्वहसिद्धगा' असुरकुमार यावत्-नागकुमार, सुवर्णकुमार, अग्निकुमार, विद्युत्कुमार, उद्धिकुमार, दीपकुमार, पवनकुमार, स्तनितकुमार, देवों के इस प्रकार के भेदों का कथन द्वितीय शतक के सप्तम उद्देशक में कहा गया है। वहां वानव्यन्तर आठ प्रकार के, ज्योतिषिक पांच प्रकार के वैमानिक और सौधर्म ईशान आदि गौतम स्वामीनी प्रश्न - " भवणवाखीणं भवे ! देवा कइविहा पण्णत्ता १" હે ભગવન્! ભવનવાસી દેવા કેટલા પ્રકારના કહ્યા છે? भडावीर अलुना उत्तर-" दसविहा पण्णत्ता - तजहा " हे गौतम! लवनवासी हेवाना नीथे अभाये इस प्रकार ह्या छे - " असुरकुमारा एवं भेओ जहा बितियसए देवुद्देसर जाव अपराजिया सव्वट्टसिद्धगा " असुरकुमार आहि ભેંદાનું જેવુ' કથન ખીજા શતકના સાતમાં ઉદ્દેશામાં કરવામાં આવ્યુ′ છે, એવું ગ્રંથન અહી' ગ્રહણ કરવું જોઈએ ત્યાં ભન્નતપતિના દસ ભેદે આ પ્રમાણે કહ્યા છે(१) असुरकुमार, (२) नागकुमार, (3) सुवर्णु कुमार, (४) अग्निडभार, (५) विद्युत्कुभार, (६) उद्यधिकुमार, (७) द्वीपकुमार, (८) वायुकुमार, (८) हिशाडुभार અને (૧૦) સ્તનિતકુમાર વાનન્યન્તર દેવાના આઠ પ્રકાર અને ચેતિષિકાના પાંચ પ્રકાર કહ્યા છે. વૈમાનિક ઢવાના સૌધમ કલ્પવાસી આદિ ૧૨ પ્રકાર કહ્યા
SR No.009320
Book TitleBhagwati Sutra Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages743
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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