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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १२ उ० १० सू० ३ रत्नप्रभादिविशेपनिरूपणम् ३९१ आयाइय? गोयमा ! अप्पणो आइटे आया परस्स आइटे नो आया, तदुभयस्ल आइठे अवत्तव्वं आयाइय नो आयाइय। से तेणटेणं तं चेव जाव नो आयाइय। एवं जाव अच्चुए कप्पे। आया भंते ! गेविज्जविमाणे अन्ने विज्ञविमाणे एवं जहा रयणप्पभा तहेव। एवं अणुत्तरविमाणा वि। एवं ईसि पब्भारा वि। आया भंते ! परमाणुपोग्गले अन्ने परमाणुपोग्गले ? एवं जहा सोहम्मे कप्पे तहा परमाणुपोग्गले वि भाणियन्वे । ___आया भंते ! दुप्पएसिए खंधे अन्ने दुप्पएसिए खंधे! गोयमा ! दुप्पएसिए खंधे सिय आया १ सिय नो आया२, सिय अवत्तव्वं आयाइयनो आयाइय ३, सिय आयाय नो आया य४, सिय आया य अवत्तव्वं आयाइय नो आयाइय ५, सिय नो आया य अवत्तव्वं आयाइय नो आयाइय ६, से केणटेणं भंते! एवंबुच्चइतंचेवजाव नोआयाइय अवत्तवं आयाइय नो आयाइय, गोयमा ! अप्पणो आइटे आया १ परस्स आइटेनो आयार तदुभयस्स आइट्ठे अवत्तव्यं, दुप्पएसिए खंधे आयाइय, नो आयाइय३ देसे आइट्टे सब्भावपजवे देसे आइट्टे असब्भावपज्जवे, दुप्पएसिए खंधे आया य, नो आया य४, देसे आइटे सब्भावपज्जवे देसे आइटे तदुभयपज्जवे दुप्पएसिए खंधे आया य अवत्तव्वं आयाइय नो आयाइय५, देसे आइढे असब्भावपज्जवे देसे आइटे तदुभयपजवे दुप्पएसिए खंधे नो आया य अवत्तव्वं आयाइय नो आयाइय६, से तेणटेणं तं चेव जाव नो आयाइय।
SR No.009320
Book TitleBhagwati Sutra Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages743
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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