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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १२ ७० ४ सू० ६ परमाणुपुद्गलानरूपणम् ॥ प्रदेशिकः स्कन्धो भवति, 'जान अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयो असंखेज्जपएसिए, एगयओ अणंतपएसिए खंघे भवई' यावत्-एकतः परमाणुपुद्गलो भवति, एक स्त्रिचतुःपञ्चषट्सप्ताष्टनवदशसंख्येयप्रदेशिकः स्कन्धो भवति, एकतःअनन्तप्रदेशिकः स्कन्धो भवति, अथवा एकतः-परमाणुपुद्गलो भवति, एकतःअसंख्येयप्रदेशिका स्कन्धो भवति, एकता-अनन्तमदेशिकः स्कन्धो भवति, 'अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दो अणंतपएसिया खंधा भवंति' अथवा एकत:परमाणुपुद्गलो भवति, एकतो द्वौ अनन्तमदेशिको स्कन्धौ भवतः, 'अहवा एगयओ है 'जाव अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयओ असंखेज्जपएलिए, एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवई' यावत् एकभाग में एक परमाणुपुद्धल होता है, एकभाग में तीनप्रदेशी, चार प्रदेशी, पांच प्रदेशी, छहप्रदेशी, सातप्रदेशी, आठप्रदेशी, नौ प्रदेशी दशप्रदेशी, एवं संख्यातप्रदेशी स्कंध होता है और अन्यभाग में अनन्तप्रदेशिक एक स्कंध होता है। अथवा-एकभाग में एक परमाणुपुद्गल होता है, अपरभाग में असंख्यातप्रदेशिक स्कंध होता है, और अन्यभाग में अनन्तप्रदेशिक एक स्कंध होता है 'अहवा-एगयो परमाणुपोग्गले एगपओ दो अणंतपए. सिया खंधा भवंति' अथवा-एकभाग में एक परमाणुपुद्गल होता है एवं अपरभाग में दो अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं, 'अहवा-एगयओ दुप्पएसिए, एगयओ दो अणंतपएसिया खंधा भवंति' अथवा-एकभाग में બીજા વિભાગમાં ઢિપ્રદેશિક એક સકધ અને ત્રીજા વિભાગમાં અનત પ્રદેશી मे २४ डाय छे. " जाव अहवा-एगयओ परमाणुपोगले, एगयओ असंखेज्जपएसिए, एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ" अथवा ४ लामा मे પરમાણુ પુલ હોય છે, બીજા ભાગમાં ત્રણ પ્રદેશી, ચારપ્રદેશ, પાંચપ્રદેશી, છ પ્રદેશી, સાત પ્રદેશી, આઠ પ્રદેશી, નવ પ્રદેશી, દસ પ્રદેશ અથવા સંધ્યાત પ્રદેશી સ્કંધ હોય છે અને ત્રીજા વિભાગમાં અનંત પ્રદેશી એક સ્કંધ હોય છે. અથવા એક ભાગમાં એક પરમાણુ પુદ્ગલ હોય છે, બીજા ભાગમાં અસંખ્યાત પ્રદેશી એક સ્કંધ હોય છે અને ત્રીજા ભાગમાં અનંત પ્રદેશી मे २४ जाय छे. “ अहवा-एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दो अणंतपएमिया खंधा भवंति " अथवा- विभागमा ४ ५२मा पुल हाय छ भने मादीना में विभागमा मनत प्रशा ४ ४२४५ डाय छे. “अहवाएगयओ दुप्पएसिए, एगयओ दो अणंतपएसिया खंधा भवंति" अथवा मे
SR No.009320
Book TitleBhagwati Sutra Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages743
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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