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________________ मगवती सूत्रे १३८ भाए, एगे सक्करपभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए होजा ७ ' अथवा एको रत्नप्रभायाम्, एकः शर्कराप्रभायाम्, एकः पङ्कमभायाम्, एको धूमप्रभायाम्, एकस्तमायां भवति' ' अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा८' अथवा एको रत्नप्रभायाम्, एकः शर्कराममायाम्, एकः पङ्कमभायाम्, एको धूमप्रभायाम्, एकोऽधः सप्तम्यां भवति, ' अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा ९' अथवा एको रत्नमभायाम्, एकः शर्करामभायाम्, एकः पङ्कप्रभायाम्, एकरतमायाम्, एकोऽधः सप्तम्यां भवति, ९, ' अहवा एगे में उत्पन्न हो जाता है ६, ( अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्कर प्पभाए एगे पंकष्पभाए, एगे धूलप्पभाए, एगे तमाए होजा) अथवा एक नारक रत्नप्रभा में, एक नारक शर्कराप्रभ में, एक नारक पकप्रभा में, एक नारक धूमप्रभा में और एक नारक नमः प्रभा में उत्पन्न हो जाता है ७, ( अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सरप्पमाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमभाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा ) अथवा एक नारक रत्नप्रभा में, एक नारक शर्कराप्रभा में, एक नारक पंकप्रभा में, एक नारक धूमप्रभा में और एक नारक अधः सप्तमी में उत्पन्न हो जाता है ८, ( अहवा एंगे रयणभाए, एगे करपभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा ) अथवा एक नारक रत्नप्रभा में, एक नारक शर्कराप्रभा में, एक नारक पंकप्रभा में एक नारक तमः प्रभा से और एक नारक अधः सप्तमी में उत्पन्न हो जाता है ९, ( अहवा एगे रयणप्पभाए, કમાં ઉત્પન્ન થાય છે. अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करपभाए, एगे पंकभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए होज्जा (७) अथवा मे! ना२४ रत्नપ્રભામાં, એક નારક શકરાપ્રભામાં, એક નારક ૫'કપ્રભામાં, એક નારક ધૂમ પ્રભામાં અને એક નારક તમ.પ્રભામાં ઉત્પન્ન થાય છે. વ अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करमाए, एगे पंकल्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे अहे सत्तमाए होजा (૮) અથવા એક નારક રત્નપ્રક્ષામાં, એક નારક શરાપ્રભામાં, એક નારક પકપ્રભામાં, એક નારક ધૂમપ્રભામાં અને એક નારક નીચે સાતમી નરકમાં ઉત્પન્ન થાય છે " " 66 अवाएगे रणपभाए, एगे सक्करपभाए, एगे पंकल्पभाए, एगे तमाए, एगे भई सत्तमाए हो जा " (ङ) अथवा मे नार रत्नप्रलाभां, भे नार શકશપ્રભામાં, એક નારક ૫કપ્રભામાં, એક નારક તમ:પ્રભામાં અને એક નારક નીચે સાતમી નરકમાં ઉત્પન્ન થાય છે แ अवा एगे रयणप्पभाए, एगे
SR No.009318
Book TitleBhagwati Sutra Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size40 MB
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