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________________ प्रमैयचन्द्रिका टो००९७०३२ सू० ३ भवान्तरप्रवेशननिरूपणम् १०१ अहवा चत्तारि तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए, तिन्नि वालुएप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सकरप्रभाए, तिन्नि अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए, दो सक्करप्पभाए, दो बालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पसाए, दो लस्करप्पभाए, दो अहेसत्तमाए होज्जा अहवा दो रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, दो वालुपप्पभाए, होज्जा, एवं जाब अहवा दो रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, दो अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए, तिन्नि सक्करप्पभ्राए, एगे वालुयप्पभाए, होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए, तिन्नि सस्करप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा दो रयणप्पभाए, दो लक्करप्पभाए, एगे वालयप्पभाए होज्जा, एवं जाव दो रयणप्पभाए दो सस्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए। अहवा तिन्नि रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एंगे वालयप्पाए होज्जा, एवं जाव अहवा तिन्नि रयणप्पभाए, एगे लक्करप्पाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए, तिन्नि पंकप्पभाए होज्जा, एवं एएणं कमेणं जहा चउण्हं तियसंजोगो भाणिओ तहा पंचण्हवि तियसंजोगो भाणियबो, नवरं तत्थ एगो संचारिज्जइ, इह दोन्नि, सेसं तं चेव जाव, अहवा तिन्नि धूमप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवाएगे
SR No.009318
Book TitleBhagwati Sutra Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size40 MB
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