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________________ प्रमेयचन्द्रिका टी० श० ८ उ० ८ सू० २ व्यवहारस्वरूपनिरूपणम् १७ आगमः स्यात्, आगमेन व्यवहारं प्रस्थापयेत् | नो च तत् तत्र आगमः स्यात्, यथा तस्य तत्र श्रुतं स्यात्, श्रुतेन व्यवहारं प्रस्थापयेत् नो वा तस्य तत्र श्रुतंस्यात्, यथा तस्य तत्र आज्ञा स्यात्, आज्ञया व्यवहारं प्रस्थापयेत् | नो च तस्य 1 ॥ व्यवहार वक्तव्यता ॥ ' कहे णं अंते । वबहारे पाते' इत्यादि । सूत्रार्थ - 'कविहे णं भंते! वबहारे पण्णत्ते' हे भदन्त व्यवहार कितने प्रकार को कहा गया है ? ' गोयमा ' हे गौतम | 'पंचविहे वबहारे पण्णत्ते ' व्यवहार पांच प्रकार का कहा गया है ( तं जहा ) जो इस प्रकार से है ' आगमे, सुए, आणा धारणा, जीए' आगमव्यवहार, श्रुतव्यवहार, आज्ञाव्यवहार, धारणाव्यवहार और जीतव्यवहार' 'जहा से तत्थ आगमे सिया, आगमेणं ववहार पट्टवेज्जा, णो य से तत्थ आगमे सिया जहा से तत्थ सुए सिया, सुएणं तत्थ ववहारं पट्टवेजा ' इस पांच प्रकार के व्यवहार में जैसा वहां वह आगम हो, उस आगम से वहां व्यवहार चलाना चाहिये यदि वहां पर आगम नहीं हो तो जैसा वहां पर श्रुत हो उस श्रुत से वहाँ पर व्यवहार चलाना चाहिये । ' णो वा से तत् सुए सिया, जहा से तत्थ आणा सिया, अणाए ववहारं पट्टवेज्जा, णो य से तत्थ आणा लिया, जहा से तत्थ धारणा सिया, વ્યવહાર વક્તવ્યતા— कविण भंते । ववहारे पण्णते " त्याहि सूत्रार्थ - (कइविणं भंते । ववहारे पण्णत्ते १) डे लहन्त ! व्यवहारना सा अार ह्या छे ? (गोयमा ) हे गौतम् । (पंचविहे ववहारे पण्णत्ते) व्यवहारना पांग अहार ह्या छे. (तौं जहा) ते अाश नीचे प्रभा, छे - (आगमे, सुए, आणा, धारणा, ની) ૧ આગમન્યવહાર, ૨ શ્રુતવ્યવહાર, ૪ જ્ઞાનવ્યવહાર અને ૫ જીતવ્ય वहार ( जहा से तत्थ आगमे सिया, आगमेण ववहार पट्टवेज्जा, णो य से तत्थ आगमे सिया जहा से तत्व सुए सिया, खुएणं ववहार पट्टवेज्जा) मा पांथ प्रारना આગમમાંથી જેવે ત્યા તે આગમ હાય, એવા આગમથી ત્યાંવ્યવહાર ચલાવવે જોઈએ, જો ત્યાં આગમના આશ્રય લઈ શકાય તેમ ન હોય તે જેવું શ્રુત ત્યાં डाय मेवा श्रुतथी व्यवहार सावने। लेभे ( णो वा से तत्थ सुए सिया, जहा से तत्थ आणासिया, आणाए वबहार पट्टवेज्जा, णो य से तत्थ आणास्त्रिया जा ३ भ 66
SR No.009317
Book TitleBhagwati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages784
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size46 MB
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