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________________ भगवती सूत्रे. ६-१४ द्वारेण ततो निवर्तमान किं त्रिविधं त्रिकारकं करणकारणानुमोदनलक्षणं प्राणातिपात योगम् त्रिविधेन मनोवचः कायलक्षणेन त्रिप्रकारकेण करणभूतेन प्रतिक्रामति निन्दनेन ततो विरमति ? किंवा 'तिविहं दुविहेणं पडिकमइ ११२ त्रिविधं कृतकारितानुमोदितलक्षणम् पूर्वोक्त माणातिपातं द्विविधेन करणभूतेन मनःप्रभृतित्रयाणामेकतरवर्जिततद्द्वयेन प्रतिक्रामति, ततो निवर्तते ? अथवा 'तिविहं एगविणं पडिक्कम १३ त्रिविधम् उपर्युक्त विमकारकं प्राणातिपातम् एकविधेन मनःप्रभृतीनामेकतमेन करणलक्षणेन प्रतिक्रामति गर्हणाद्वारा ततो विरमति 'दुहिं तिविद्देण पडिक्कमइ १४ द्विविधं कृत-कारितादिलक्षणं प्राणातिपातं त्रिविधेन उपर्युक्तेन मनःप्रभृतिकरणलक्षणेन प्रतिक्रामति ? 'दु दुविणं पडिकus ११५ द्विविधं पूर्वोक्त कृतादिप्राणातिपातं द्विविधेन अतीतकाल में हुए प्राणातिपात का प्रतिक्रमण करता है सो क्या वह कृत, कारित और अनुमोदना से हुए प्राणातिपात का मन, वचन, और काय द्वारा प्रतिक्रमण करता है क्यो ? या 'तिविहं दुविणं पडिकम २' कृत, कारित एवं अनुमोदना से जन्य प्राणातिपात का मन, वचन और काय इन तीनों में से किसी एक को छोड़कर दो के द्वारा प्रतिक्रमण करता है क्या ? या 'तिविहं एगविहेणं' ३ कृत, कारित, एवं अनुमोदना से हुए प्राणातिपात का मन, वचन और काय इन तीनों में से किसी एक से प्रतिक्रमण करता है क्या ? अर्थात् निन्दा द्वारा उस प्राणातिपात से दूर होता है ? 'दुविह तिविहेणं पडिकम १४ या कृत, कारित एवं अनुमोदना इन तीन में से किसी दो के द्वारा हुए प्राणातिपात का वह मन, वचन और काय इन तीनों द्वारा प्रतिक्रमण करता है ? 'दुविहं दुबिहेणं पडिक्कम ५, या द्विविध का पूर्वोक्त कृत, કરતા શ્રાવક છું કૃત, કારિત અને અનુમેાદના રૂપ ત્રણે કારણેા વડે થયેલાં પ્રાણાતિપાતનું भन, वयन भने डाय, से भागे द्वारा अतिभा ४३ छे? 3 ' तिविहं दुविहेणं पडिकमइ २ ? ' त, अरित भने अनुभेोहना द्वारा उराला आशातिपात भन, वयन गने डाय, भे त्रणुभांथी गभे ते मे द्वारा प्रतिभा रे ? 'तिविहं एगविहेणं' રૂ?” કૃત, કારિત અને અનુમેદના દ્વારા કરાયેલાં પ્રાણાતિપાતનુ મન, વચન અને કાય, એ ત્રણેમાંથી ગમે તે એક દ્વારા પ્રતિક્રમણ કરે છે? એટલે કે નિંદા દ્વારા તે आध्यातिपातथी भुक्त थाय छे? 3 'दुविहं तिविद्देणं पडिक्कमइ ४१' इत अस्ति અને અનુમાના એ ત્રણમાંથી કાઇ એ કારણેા દ્વારા કરાયેલ પ્રાણાતિપાતનું મન, વચન I
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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