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________________ - ४४. भावतीसत्रे तस्य अलब्धिकानां पञ्च ज्ञानानि भजनया, पण्डितवीर्यस्य लब्धिकानां पञ्चज्ञानानि भजनया, तस्य अलब्धिकानां मनःपर्यवज्ञानवर्नानि झानानि, अज्ञानानि त्रीणि च भजनया । वालपण्डितवीर्यलन्धिकाः खलु भदन्त ! जीवाः किं ज्ञानिनः, अज्ञानिनः ? त्रीणि ज्ञानानि भजनया, तस्य अलन्धिकानां पञ्च ज्ञानानि, त्रीणि अज्ञानानि भजनया १ इन्द्रियलब्धिकाः जीवों के विषयमें भी जानना चाहिये । (बालवीरियलदिया णं तिन्नि नाणाई, तिन्नि अन्नाणाई) जो जीव बालवीर्यलब्धिवाले होते हैं उनमें तीन ज्ञान तथा तीन अज्ञान भजना से होते हैं । (तम्स अलद्धियाणं पंचनाणाई भयणाए) बालवीर्यकी लब्धि विनाके जो जीव हैं उनमें पांच ज्ञान भजना से होते हैं । (पडियवीरिबलद्धिया णं पचनाणाई भयणाए) जो जीव पण्डितवीर्य लब्धिवाले होते हैं, उनको पांच ज्ञान भजनासे होते हैं । ( तम्स अलद्धियाणं मणपज्जवनाणबनाई णाणाइ, अन्नाणाई, तिन्नि य भयणाए) जो जीव पंडितवीर्य लब्धिवाले नहीं होते हैं उनको मनापर्यवज्ञानको छोडकर चार ज्ञान तथा तीन अज्ञान भजना से होते हैं। (बालपडियवोरिय लद्धिया ण भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी) हे भदन्त ! जो जीव बालपण्डितवीर्य लब्धिवाले होते हैं, वे क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? (तिन्नि नाणाई भयणाए) हे गौतम ! बालपण्डित वीर्यलब्धिवालोंको तीन अज्ञान भजनासे होते हैं। (तम्स अलड़ियाणं पंच लद्धियाणं तिन्नि नाणाइ तिन्नि अन्नागाइ'२ ७५ पासवाय हाय है. तमनामा ए जान तथा त्रए मजान मरनाथी हाय छ तस्स अलद्धियाणं पंचनाणाइ भयणाए' मालवीय विनाना रे ७५ छ. तमामा पाय गान मनायी होय 'पंडियवीरियलद्धियाणं पंचनाणाई भयणाए 94 पतिवीय समिधाय छ, तभने पाय जान मनाथी डाय छे तस्स अलद्धियाणं मणपज्जवनाणरज्जाइं चत्तारिनाणाई अन्नाणाई तिन्निय भयणाए' ने पति . વીર્ય લબ્ધિ વિનાના હોય છે તેમને મન:પર્યવજ્ઞાન છેડીને ચાર જ્ઞાન તથા ત્રણ અજ્ઞાન मरनाथी हाय छे. 'वालपंडियवीरियलद्धियाणं भंते जीवा किं नाणी अन्नाणी' હે ભદન્ત! જે જીવ બાલપંડિત વીર્ય લબ્ધિવાળા હોય છે તેઓ શું જ્ઞાની હોય છે કે मज्ञानी डाय छे ! 'तिन्नि नाणाई भयणाए' गौतम । तिनीय auranाने त्र ज्ञान मनाथी डाय छे. 'तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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