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________________ भगवती सूत्रे ३३२ खलु भदन्त ! किं ज्ञानिनः ? अज्ञानिनः ? गौतम ! नो ज्ञानिनः, अज्ञानिनः, ये अज्ञानिनस्ते नियमात् द्वज्ञानिनः मत्यज्ञानिनश्च श्रुताज्ञानिनश्च, एवं यावत् वनस्पतिकायिकाः, द्वीन्द्रियाः खलु पृच्छा ! गौतम ! ज्ञानिनोऽपि, अज्ञानिनोऽपि, यिकोंके विषय में कहा गया है वैसा ही इनके विषय में भी जानना चाहिये । जो असुरकुमार ज्ञानी होते हैं वे नियमसे तीनज्ञानवाले होते हैं ( तिन्नि अण्णाणाणि भयणाए ) और जो असुरकुमार अज्ञानी होते हैं उनमें कोईतो दो अज्ञानवाले होते हैं और कोई२ तीन अज्ञानवाले होते हैं । ( एवं जाव धणियकुमारा) इसी तरहसे यावत् स्तनितकुमारोंके विषय में भी ज्ञानी अज्ञानीकी अपेक्षाले कथन जानना चाहिये । ( पुढविकाइया णं भंते ! किं नाणी, अन्नाणी ) हे भदन्त ! पृथिवीकायिक जीव क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? (गोयमा) हे गौतम! पृथिवीकायिक जीव (नो नाणी, अण्णाणी) झानी नहीं होते हैं अपितु अज्ञानी ही होते हैं । ( जे अन्नाणी, ते नियमा दुअन्नाणी ) जो अज्ञानी होते हैं, वे नियमसे दो अज्ञानवाले होते हैं ( मइ अन्नाणी, य सुय अन्नाणीय) एक मति अज्ञानवाले और दूसरे श्रुत अज्ञानवाले ( एवं जाव वणस्सइकाइया) इसी तरह से वनस्पतिकायिक जीवोंके विषय में भी जानना चाहिये (इंद्रियाणं पुच्छा) हे भदन्त ! जो हीन्द्रियजी होते हैं वे क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? ( गोयमा) हे गौतम! ( गाणी वि अन्नाणी वि) ज्ञानी होय छे ते नियमथी त्र ज्ञानवाणा होय 'तिन्नी अन्नाणाणि भयणाए' અને જે અસુરકુમાર અજ્ઞાની હેય છે તેમા કાઇ તા બે અજ્ઞાનવાળા અને કઇ ત્રણુ ज्ञानवाणा होय हे 'एव जाव यणियकुमारा' से रीने यावत् स्तनितङ्कुभारना વિષયમાં પણ નાની અજ્ઞાનીની અપેક્ષાએ કથન સમજી લેવું 'पुढविकाइया गं भंते 'कि नाणी अन्नाणी' हे भगवन् ! पृथ्वी अयि व ज्ञानी डॉय अज्ञानी ? 'गोयमा' डे गौतम! पृथ्वी अयि व 'नो नाणी अन्नाणी' ज्ञानी होता नभी याशु मज्ञानी होय छे. 'जे अन्नाणी ते नियमा दुअन्नाणी' ने अज्ञानी होते નિયમથી ખે અજ્ઞાનવાળા હાય છે. मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य " એક મતિ અજ્ઞાન ને ખીજા શ્રત અજ્ઞાનવાળા હોય છે. એ જ રીતે યાવત વનસ્પતિકાયિક છવાના વિષયમાં પણ સમજી લેવું. एवं जाव वणस्सइकाइया बेदियाणं पुच्छा' डे महन्त । ફ્રીન્દ્રિય જીવ ડ્રાય છે તે શું નાની હૅય છે કે અજ્ઞાની ! 'गोयमा' हे गौतम! 'नाणी बि अन्नाणी वि' में इन्द्रिय बखानी पड़ होय 6 " 6 9 ५
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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