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________________ भगवतीसूत्रे गौतम ! द्विविधाः प्रज्ञप्ता , तद्यथा-ग्रेवयककल्पातीतवैमानिकाः, अनुत्तरौपपा. तिककल्पातीतकवैमानिकाः, गौवेयककल्पातीतका० नवविधाः प्राप्ताः, तद्यथाअधम्तनाधस्तनौवेयककल्पातीतकवैमानिकाः यावत् - उपरितनोपरितनग्रेवेयककल्पातीतकवैमानिकाः । अनुत्तरीपातिककल्पातीतकवैमानिकदेवपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः खलु भदन्त ! पुद्गलाः कतिविधाः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! पञ्चविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-विजयानुत्तरौपपानिक यावत् परिणताः, यावत सर्वार्थ सिद्धानुत्तरौपपातिकदेव पञ्चन्द्रिय प्रयोगपरिणता , (दण्डकः १ प्रथमः) ॥.२॥ है ? (गोयमा) हे गौतम ! (दुविदा पण्णत्ता) कल्पानीत वैमानिक देव दो प्रकारके कहे गये है (तं जहा) जो इस प्रकार से हैं (गेवेज कप्पा नीय वे० अणुत्तरोववादय कप्पातीयवे०) ग्रेवेयक कल्पातीत वैमानिक देव तथा अनुत्तरौपपातिक कल्पातीत वैमानिक देव (गेवेलकप्पातीयगा नवविहा पण्णत्ता) ग्रैवेयक कल्पातीत वैमानिक देव नौ प्रकारके कहे गये हैं। (तं जहा) जो इस प्रकार से हैं (हेट्ठिम हेहिम गेवेजकप्पा. तीयवे० जाव उवरिम उवरिम गेवेजगकप्पातीय०) अधस्तन अधस्तन ग्रैवेयक कल्पातीत वैमानिक देव यावत् ऊपर ऊपर ग्रेवेवक कल्पातीत देव. (अणुत्तरोववाइय कप्पातीयग वेमाणिय देव पंचिंदियपओगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कविता पण्णत्ता) हे भदन्त ! अनुत्तरौपपातिक कल्पातीत वैमानिक देव पञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुदगल कितने प्रकारके कहे गये हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (पं वहा पण्णना) अनुत्तरोपहे महन्त ! ४६५ातात वैमानि वोना है। प्रा२ ४ा छ ? (गोयमा !) हे गौतम! (दुविहा पण्णत्ता) ४६यातीत मानि: हेवाना मे २ ४या छे. (तंजहा) तेरे प्रार भा प्रभार) - (गेवेजकप्पातीय वे., अणुत्तरोवाइय कप्पातीय वे.) (१) ગ્રેવેયિક કપાતીત વૈમાનિક દેવો અને (૨) અનુત્તરો ૫પાતિક કલ્પાતીત વૈમાનિક દેવો. गेवेजकप्पातीयगा नवविहा पण्णत्ता] वेथि: ४५ातीत मानि वाना न4 प्रार या छ तंजहा ते नव ५४२ नाय प्रमाणे छ- (हेद्विम हेहिम गेवेन्जकप्पातीय वे०, जाव उवरिम उवरिम गेवेन्ज कप्पातीय) सस्तन मस्तन अवयि: કલ્પાતીત વૈમાનિક દેવોથી લઈને ઉપરીતન ઉપરીતન શ્રેયક કલ્પાતીત દેવો પર્યન્તના नव १२ मही अड ४२वा. ( अणुत्तरोववाइय कप्पातीयग वेमाणिय देव पचिंदिय-पओग परिणया णं भंते ! पोगल्ला कइविहा पण्णत्ता?) HE-त ! અનુત્તરે પપાતિક કલ્પાતીત વૈમાનિક દેવ પચેન્દ્રિય પ્રગપરિણત પુદગલ કેટલા ४१२ना ४ा छ ? गोयमा !] गौतम! पंचविहा पण्णता] तमना पांय
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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