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________________ १५ प्रमेयचन्द्रिका टीका श. ८ उ. १ सु. २ पुद्गलभेदनिरूपणम् नैरयिकपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताअपि चावत - अधः सप्तम पृथिवीनै रयिकपञ्चेन्द्रिय प्रयोगपरिणता अपि । तिर्यग्योनिकपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः खलु पृच्छा ? गौतम ! त्रिविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा - जलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिक प्रयोग परिणताः, स्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकप्रयोगपरिणताः खेचरपञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिक प्रयोगपरिणताच | जलचरपञ्चन्द्रियतिर्यग्योनिक प्रयोगपरिप्रकारके कहे गये हैं । (तं जहा ) जो इस प्रकार से हैं ( रयणप्पभापुढवि नेरपगपरिणया वि जाव अहे सत्तमपुढवि नेरइय पंचिदियपओगपरिणया वि) रत्नप्रभा पृथिवी नैरयिक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत यावत् नीचे सप्तम नरक पृथिवी नैरयिक प्रयोग परिणत पुद्गल (निरिक्खजोणिय पंचिदियपओगपरिणया णं पुच्छा) हे भदन्त ! निर्यच योनिक पंचेन्द्रिय प्रयोगपरिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? (गोयमा) हे गौतम! तिर्यच योनिक पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गल (तिविहा पण्णत्ता) तीन प्रकारके कहे गये हैं । (तंजहा) वे इस प्रकार से (जलयरपंचिदिय तिरिक्खजोणिय, थलयर पंचिदिय तिरिक्खजोणिय खहयरपंचिदय तिरिक्ख) जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक प्रयोगपरिणत, थलचर पंचेन्द्रियमयोगपरिणत और खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यच योनिकप्रयोगपरिणत पुद्गल । ( जलयर तिरिक्खजोणिय ओगपुच्छा) हे भदन्त ! जलचरे तिर्येच योनिक पंचेन्द्रियप्रयोग परिणत पुद्गल कितने प्रकारके कहे गये हैं ? (गोग्रमा) हे नीचे प्रभा - ( रयणप्पभापुढवि ने रइयपओगपरिणया वि जाव अहे सत्तमपुत्रि नेरइय पंचिदियपभोगपरिणया वि) पहेली रत्नाला पृथ्वीना નારક પચેન્દ્રિય પ્રયાગપરિણુત પુદગલેાથી લઇને નીચે સાતમી પૃથ્વીના નારક પચેન્દ્રિય પ્રયેાગપતિ પુદગલ સુધીના સાત પ્રકાર સમજવા (तिरिक्खजोणियप चिदियपओगपरिणयाणं पुच्छा) डे अन्त ! यि योनि यथेन्द्रिय प्रयोगपरियत पुढगसौना હે डेंटला अडार ह्या है ? (गोयमा !) हे गौतम! (तिविद्या पण्णत्ता - तं जहा ) તિય ચયેાનિક ૫ ચેન્દ્રિય પ્રયાગપરિણુત પુદગલાના નીચે પ્રમાણે ત્રણ પ્રકાર, કહ્વા છે— जलयर पंचिंदिय तिरिक्खजोणिय०, थलयर तिरिक्खजोगिय० पचिदिय०, खयर तिरिक्ख पचिंदिय ) (१) ४जयर तिर्यययोनिम् ययेन्द्रिय प्रयोगयरियत, (૨) વળચર તિય ચયેાનિક પંચેન્દ્રિય પ્રયાગપરિણત, (૩) ખેચર તિય થચેાનિક ૫ ચેન્દ્રિય प्रयोगपरित पुगस ( जलयर तिरिक्खजोणिय पओग० पुच्छा) डे अहन्त ! જળચર તિ ચાનિક ૫ ચેન્દ્રિય પ્રયાગપરિણુત પુદ્ગલના કેટલા પ્રકાર કહ્યા છે ? 3
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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