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________________ N १३ पमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ.१ सू.२ पुद्गलभेदनिरूपणम् कतिविधाः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! द्विविधा' प्रज्ञप्ताः तद्यथा-मूक्ष्मपृथिवीकायिक केन्द्रियप्रयोगपरिणताश्च, वाटरपृथिवीकायिकैकेन्द्रियप्रयोगपरिणताश्च । अप्कायिकैकेन्द्रियमयोगपरिणता एवमेव । एवं द्विपदो भेदो यावत् बनस्पतिकायिकाश्च । द्वीन्द्रियप्रयोगपरिणताःखलु पृच्छा ? गौतम ! अनेकविधाः पज्ञप्ताः, दियपओगपरिणया) पृथिवी कायिक एकेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गल, यावत् वनस्पतिकायिक एकेन्द्रियप्रयोगपरिणतपुद्गल (पुढविकाइयएगिदियपओगपरिणयाणं भंते ! पोग्गला कइविहा पण्णत्ता) हे भदन्त ! पृथिवीकायिक एकेन्द्रियप्रयोगपरिणतपुद्गल कितने प्रकारके कहे गये हैं ? (गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता) हे गौतम ! पृथिवीकायिक एकेन्द्रिय प्रयोगपरिणतपुद्गल दो प्रकारके कहे गये हैं (तंजहा) जो इस प्रकारसे हैं (सुहम पुढविकाइयएगिदयपओगपरिणया य बायर पुढविकाइयएगिदिय पओगपरिणया य) सूक्ष्म पृथिवीकायिक एकेन्द्रिय प्रयोगपरिणतपुद्गल, बादर पृथिवीकाधिक एकेन्द्रिय प्रयोगपरिणतपुद्गल (एव चेव) इसी तरहसे (आउक्काइयएगिदियपओगपरिणया) अप्कायिक एकेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गल दो प्रकार के होते हैं (एवं दुप्पयओ भेदो जाव वणस्सइकाइया य) इसी तरह से यावत् वनस्पतिकायिक प्रयोगपरिणतपुद्गल भी दो प्रकारके होते हैं। (वेइंदियपओगपरिणया-णं पुच्छा) हे भदन्त ! दो इन्द्रिय प्रयोगपरिणतपुद्गल कितने प्रकारके कहे गये हैं ? (गोयमा) हे ( यावत् ) वनस्पतिमाथि: मेन्द्रिय प्रयोगपरित पुस(पुढविकाइयएगिदिय पओगपरिणयाण भ ते! पोग्गला काविहा पण्णता ?) डे मन्त! पृथ्वी थि४ सेन्द्रिय प्रयोगपशियत Y६१८ Beat Pat san छे ? (गोयमा! दुविहा पपणत्ता) गौतम! य४ मेन्द्रिय पयोगपरिणत पुलना मे २ या छ (तंजहा ते ४।२। २मा प्रभारछ- ( मुहुम पुढविकाइय-एगिदियपओगपरिणया य वायर पुढविकाइय एगिदियपओगपरिणया य ) (१) सुक्ष्म वीथि: मेन्द्रिय अयोगपरिवून पुस, (२)मा२ Yealtयि मन्द्रिय प्रयागपरिणत पुल (एवं चेव) मेर प्रमाणे (आउक्काइयएगिदियपओगपरिणया ) माथि४ मेन्द्रिय प्रयोगपरिणत Yो मे २ना डाय छे (एवं दुप्पयो भेदो जाव वणस्सइ. काइया य) मे ॥ प्रभा वनस्पतिय पय-तना सन्द्रियप्रयोगपरिणतपुराना ५४ मे २ सभा ( बेइंदियपओगपरिणयाण पुच्छा) हे मन्त! बीन्द्रय प्रयोगपरित पुगसना 24 या छ? (गोयमा) हे गौतम! (अणेगविहा
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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