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________________ ___ २४६ भगवतीसूत्रे गौतमः पृच्छति- हे भदन्त ! चत्वारि द्रव्याणि किं प्रयोगपरिणतानि, मिश्रपरिणतानि, वित्रसापरिणतानि भवन्ति ? भगवानाह- 'गोयमा! पओगपरिणया वा, मीसापरिणया वा, वीससापरिणया वा' हे गौतम ! चत्वारि द्रव्याणि प्रयोगपरिणतानि वा, मिश्रपरिणतानि वा, विस्रसापरिणतानि वा भवन्ति, 'अहवा एगे पओगपरिणए तिन्नि मीसापरिणया १, अथवा तेषु एक द्रव्यम् प्रयोगपरिणतं भवति, त्रीणि च द्रव्याणि मिश्रपरिणतानि भवन्ति१, 'अहवा एगे पओगपरिणए तिनि वीससा परिणया२' अथवा एक प्रयोग परिणतं भवति, त्रीणि च विस्रसापरिणतानि भवन्ति २, 'अहवा दो पओगपरिणया, दो मीसापरिणया ३, अथवा द्वे द्रव्ये प्रयोगपरिणते भवतः, द्वे च मिश्रपरिणते, 'अहवा दो पओगपरिणया दो वीससा परिणया४' अथवा वे प्रयोगपरिणते भवतः द्वे विस्त्रसापरिणते४, 'अहवा तिन्नि पओगपरिणया एगे मीसापरिणए' ददा किं पओगपरिणया, मोसापरिणया, वीससापरिणया' हे भदन्त ! चार द्रव्य क्या प्रयोगपरिणत होते हैं? या मिश्रपरिणत होते हैं ? या विस्त्रलापरिणत होते हैं ? इसके उत्तरमें प्रभु कहते हैं 'गोयमा ! पओगपरिणया वा, भीसापरिणया वा, वीससापरिणया वा' हे गौतम ! चार द्रव्य प्रयोगपरिणत भी होते हैं, मिश्रपरिणत भी होते हैं, और चित्रमा परिणत भी होते हैं। 'अहवा-एगे पओगपरिणए तिन्नि मीसा परिणया, अहवा एगे पओगपरिणए, तिन्नि वीससा परिणया, अहवा दो पओगपरिणय, दो मीसा परिणया, अवा दो पओगपरिणया, दो वीससा परिणयो' अथवा-उनमें एक द्रव्य प्रयोगपरिणत होता है, तीन द्रव्य मिश्र परिणत होते हैं?, अथवा-एक द्रव्य प्रयोग परिणत होता है तीन द्रव्य विस्त्रमा परिणत होते हैं२, अथवा-दो द्रव्य प्रयोग परिणया, मीसा परिणग; बीससा परिणया' हे भगवन् या द्रव्य शु प्रयोग પરિણત હોય છે? મિશ્ર પરિણત કે વિસસા પરિણત હોય છે ? उत्तर- 'गोयमा' 'पओगपरिणया वा मीसा परिणया वा चीससा परिणया' હે ગૌતમ ચાર બે પ્રયોગ પરિણત, મિશ્ર પરિણત અને વિસસા પરિણુત હોય છે. 'अहवा एगे पओगपरिणए तिन्नि मीसा परिणया, अहवा एगे पओगपरिणए तिम्नि वीससा परिणया, अहवा दो पओगपरिणया दो मीसा परिणया, अहवा दो पओगपरिणया दो वीससापरिणया, मथवा तभी ये द्रव्य પ્રયોગ પરિણત, ત્રણ દિગ્ય મિશ્ર પરિણત હોય છે અથવા એક દ્રવ્ય પ્રયોગ પરિણુત હોય છે અને ત્રણ દ્રવ્ય વિસસા પરિણત હોય છે ૨ અથવા બે દ્રવ્ય પ્રવેગ પરિણત હોય છે
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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