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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ. १ सू.२१ सूक्ष्मपृथ्वी काय स्वरूपनिरूपणम् २२१ अथवा एकं सत्यमनः प्रयोगपरिणत भवति, एकञ्च सत्यमृषामनःप्रयोगपरिणत भवति २, 'अहवा एगे सचमणप्पओगपरिणए, एगे असच्चामोसमणप्पओगपरिणए ३, अथवा एक सत्य मनः प्रयोगपरिणतं भवति एकञ्च असत्यमृपामनः प्रयोगपरिणत भवति ३, 'अहवा एगे मोसमणप्पओगपरिणए, एगे सच्चामोसमणप्पओगपरिणए ४ अथवा एक मृषामनः प्रयोगपरिणत भवति, एकम् अपरञ्च सत्यमृपामनः प्रयोगपरिणतं भवति ४, ' अहवा एगे मोसमणप्पओगपरिणए, एगे असच्चामोसमणप्प-ओगपरिणए ५' अथवा एक मृषामनःप्रयोगपरिणत भवति, एकं च असत्यामृपामनःप्रयोगपरिणत भवति ५ ' अहना एगे सच्चामोममणप्पओगपरिणए, एगे असच्चामोसमणप्पओगपरिणए ६' अथवा एक सत्यमृपामनः प्रयोगपरिणत भवति, एकं सच्चामोसमणप्पओगपरिणए' अथवा एक द्रव्य सत्यमनःप्रयोगपरिणत भी होता है २, 'अहवा एगे सचमणप्पओगपरिणए, एगे असच्चामोसमणप्प ओगपरिणए' अथवा एकद्रव्य सत्यमनःप्रयोगपरिणत होता है, दूसरा द्रव्य असत्यामृषामनःप्रयोगपरिणत होता है ३, 'अहवा एगे मोसमण ओगपरिणए, एगे सच्चामोसमणप्पओगपरिणए' ४ अथवा एकद्रव्य मृषामनः प्रयोगपरिणत होता है, दूसरा द्रव्य सत्यमृषामनःप्रयोगपरित होता है ४, ' अहवा एगे मोसमणप्पओगपरिणए, एगे असच्चामोसमण ओगपरिणए ५, अथवा एकद्रव्य मृषामनः प्रयोगपरिणत होता है, दूसरा द्र् असत्यामृषामनः प्रयोगपरिणत होता है ५, अहवा एगे सच्चामोसमणप्पओगपरिणए, एगे असच्चामो समणप्पओगपरिणए' अथवा एकद्रव्य सत्यमृषामनः प्रयोगपरिणत होता है दूसरा द्रव्य તૃષામનપ્રયાગપરિણત પશુ હાય છે १ ( अत्रा एगे सच्चमणप्पओगपरिणए, एगे सच्चामोसमणप्पओगपरिणए ) अथवा द्रव्य सत्यभन प्रयेग પરિણત પણ હોય છે ખીજી સત્યમૃષામન પ્રયાગ પરિણત પશુ હાય છે ૨ ( अहवा एगे सच्च मणप्पओगपरिणए एगे असच्चामोसमणप्पओगपरिणए ) અથવા એક દ્રવ્ય સત્યમન.પ્રયેગપરિણત પણ હાય છે. બીજુ સત્યમૃષામન પ્રયાગપરિણત होय छे उ ( अहवा एगे मोसमणप्पओगपरिणए, एगे सच्चामोसमणप्पओग परिणए) अथवा मे द्रव्य भूषामनःप्रयोग परित होय छे. जी द्रव्य सत्यभृषाभन प्रयोगपरित होय छे. ४ ( अहवा एगे मोसमणप्पओगपरिणए एगे असच्चामोसमणप्पगपरिणए) अथवा द्रव्य भृषाभनः प्रयोग परिवृत होय छे. मीन द्रव्य असत्याभूषामनः प्रयोग परित होय छे ५ अहवा एगे सच्चामोसमणपओग परिणए, एगे असच्चामो समणप्पओगपरिणए ) अथवा श्रेष्ठ द्रभ्य सत्यमृषाभन પ્રયાગપરિણત હાય છે અને ખીજુ અસત્ય મૃષામન પ્રયાગપરિણત હાય છે. 1
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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