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________________ २०४ भगवतीसूत्रे रसपरिणतं वा, स्पर्शपरिणतं वा, संस्थानपरिणतं वा। यदि वर्णपरिणत किं कालवर्णपरिणत नील यावत्-शुक्लवर्णपरिणतम् ? गौतम ! कालवर्णपरिणत यावत्-शुक्लवर्णपरिणतम् । यदि गन्धपरिणत किं मुरभिगन्धपरिणतं दुरभिगन्धपरिणत ? गौतम । सुरभिगन्धपरिणतं वा, दुरभिगन्धपरिणत वा । यदि रसवित्रसापरिणत होता है, तो क्या वह वर्णपरिणत होता है, या गंधपरिणत होता है, या रसपरिणत होता है, या स्पर्शपरिणत होता है, या संस्थानपरिणत होता है ? (गोयमा) हे गौतम ! (वनपरिणए वा, गधपरिणए वा, रसपरिणए वा, फासपरिणए वा, संठाणपरिणए वा) वह द्रव्यवर्णपरिणत भी होता है गंधपरिणत भी होता है, रसपरिणत भी होता है स्पर्शपरिणत भी होता है, संस्थानपरिणत भी होता है। (जइ वण्णपरिणए, किं कालवनपरिणए, नोल जाव सुकिल्लवनपरिणए) हे सदन्त ! यदि वह द्रव्यवर्णपरिणत होता है तो क्या वह कालवर्णपरिणत होता है, या नीलवर्णपरिणत होता है ? या यावत् शुक्लवर्ण परिणत होता है ? (गोयमा) हे गौतम ! (कालवनपरिणए जाव सुकिल्लजाव परिणए) वह वर्णपरिणत द्रव्यकालवर्णपरिणत भी होता है यावत शुक्लवर्णपरिणत भी होता है । (जह गंधपरिणए किं सुन्भिगंधपरिणए दुन्भिगंधपरिणए ) हे भदन्त ! यदिवह द्रव्यगंधपरिणत होता है तो क्या वह सुरभिगंधरूपसे परिणत होता है ? या दुरभिगंधरूपसे परिणत होता है ? (गोयमा ) हे गौतम ! (सुन्भिगंधपरिणए वाતે શુ તે વર્ણ પરિણત હોય છે, કે ગ ધપરિણત હોય છે, કે રસારિત હોય છે, કે २५ परिणत य छ, सस्थानपरित हाय छे? (गोयमा! ) हे गौतम ! ( वण्णपरिणए वा, गंधपरिणएवा, रसपरिणए वा, फासपरिणए वा, संठाणपरिणए રા) તે દ્રવ્ય વર્ણ પરિણત પણ હોય છે, ગંધપરિણત પણ હોય છે, રસપરિણત પણ हाय छ, “५ परिणत ५५ उय छ भने सयानपरित डाय 2. ( जड वण्णपरिणए, किं कालवण्णपरिणए, नील जाव मुक्किल्लवण्णपरिणए ?) मस्त ! त દ્રવ્ય વર્ણ પરિણત હોય છે, તે શું તે શ્યામ વર્ણપરિણુત હોય છે,? કે નીલવર્ણ परिणत डाय छ ? 3 दास, पागा, शुस परिणत लाय छे ? (गोयमा]) है गौतम ! ( कालवण्णपरिणए जाव मुक्किल्ल नाव परिणए ) ते १ परिणत દ્રય મવર્ણ પરિણત પણ હોય છે અને શુકલવર્ણ પતના બીજા વર્ણ પરિણત પણ डाय छ (जई गंधपरिणए, कि सुब्भिगंधपरिणए दुन्भिगंधपरिणए ? 3 HErd ! જે તે દ્રવ્ય ગંધપરિણત હોય છે, તે શું સુગ ધપરિણત હોય છે? કે દુર્ગ ધપરિણત
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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