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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ.१ मृ. १३ सूक्ष्मपृथ्वीकायस्वरूपनिरूपणम् १५५ परिणतमुच्यते ३, सत्यासत्योभयाभ्यां वर्जितम् असत्यामृषामनःप्रयोगपरिणतमुच्यते ४, व्यवहारमनःप्रयोगपरिणत भवति-इति भावः । गौतमः पृच्छति'जइ सच्चमणप्पओगपरिणए कि आरंभ-सच्चमणप्पओगपरि०१, अणारंभसच्चमणप्पोगपरि०२,सारंभसच्चमणप्पओग०३, असारंभसच्चमण०४,समारंभसच्चमणप्पओगपरि०५,असमारंभसञ्चमणप्पओगपरिणए ६?' यद् द्रव्यं सत्यमनःप्रयोगपरिणतं तत् किम् ? १आरम्भ-सत्यमनःप्रयोगपरिणत भवति, २अनारम्भ-सत्यमनःप्रयोगइस तरह दोनों प्रकार के प्रयोगसे मिश्रित हो वह उभयमनः प्रयोग कहा गया है, इस उभयमनः प्रयोग से जो पुद्गल द्रव्यपरिणत होता है वह उभयमनःप्रयोगपरिणत द्रव्य कहा गया है । जो मन प्रयोग न सत्य हो और न असत्य हो. किन्तु दोनों से सत्य असत्य इन दोनों प्रकारों से रहित हो वह मनःप्रयोग असत्यामृषामनः प्रयोग है इस असत्या स्कृषामनः प्रयोग से परिणत हुआ जो द्रव्य है वह असत्यामृषामनः प्रयोगपरिणत कहा गया है । अर्थात् वह व्यवहारमनःप्रयोगपरिणत होता है । अब गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं-' जइ सच्चमणप्पओगपरिणए किं आरंभसच्चमणप्पओगपरिणए, अणारंभसच्चमणप्पओग. परिणए, सारंभसच्चमणप्पओगपरिणए, असारंभसञ्चमणप्पओगपरिणए, समारंभसच्चमणप्पओगपरिणए, 'असमारंभसच्चमणप्पओगपरि णए ?' जो द्रव्य सत्यमनः प्रयोगपरिणत होता है, वह क्या आरम्भ सत्यमनःप्रयोगपरिणत होता है ? अथवा अनारम्भसत्यमनःप्रयोगपरिणत ઉભયમનઃ પ્રયોગ કહે છે. આ ઉભયમનઃ પ્રયોગથી જે પુદગલદ્રવ્ય પરિણત થાય છે તેને ઉભયમનઃ પ્રયોગપરિણત દ્રવ્ય (સત્યમૃષામનઃ પ્રાગપરિણત) કહે છે. જે મન પ્રયોગ સત્ય પણ ન હોય અને અસત્ય પણ ન હોય – પરન્તુ સત્ય અને અસત્ય, એ બન્નેથી રહિત હોય છે, તે મનઃપ્રગને અસત્ય ઋષામનઃ પ્રયોગ કહે છે આ અસત્યામૃષામનઃ પ્રયોગથી પરિણત થયેલું જે દ્રવ્ય છે તેને અસત્યામૃષામનઃ પ્રગપરિણત કહે છે. એટલે કે તે વ્યવહારમનઃ પ્રગપરિણત હોય છે. गौतम पामीन। प्रश्न- 'जइ सञ्चमणप्पओगपरिणए कि आरंभसच्चमणप्पओगपरिणए, अणारंभसच्चमणप्पओगपरिणए, सारंभसच्चमणप्पओगपरिणए, असारंभसच्चमणप्पओगपरिणए, समारंभसच्चमणप्पओगपरिणए, असमारंभ सच्चमणप्पओगपरिणए?' रे द्रव्य सत्यमनः प्रयोगपरिणत डाय छ, ते शुभारम
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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