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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श. ८ उ. १. १३ सूक्ष्मपृथ्वीकायस्वरूपनिरूपणम् १४५ औदारिकशरीरका प्रयोगपरिणतं किम् एकेन्द्रियौदारिकशरीर कायप्रयोगपरिणतम्, एवं यावत् - पञ्चेन्द्रियौदारिक- यावत् परिणतम् ? गौतम ! एकेन्द्रियौदारिक शरीरकायप्रयोगपरिणतं वा, द्वीन्द्रिय- यावत् - परिणत वा, यावत् पञ्चेन्द्रिययावत् - परिणत वा । यदि एकेन्द्रियौदारिकशरीरकाय प्रयोगपरिणत किं पृथिवीकायिकै केन्द्रिययावत् - परिणत यावत्-वनस्पतिकायिकै केन्द्रियौदारिकशरीरका यप्रयोगपरिणतं वह एक द्रव्य औदारिक शरीर कायप्रयोगपरिणन भी होता है अथवा यावत् कार्मणशरीरप्रयोगपरिणत भी होता है । (जड़ ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए कि एगिदिय ओरालिय सरीर कायप्पओगपरिणए एवं जाव पंचिदिय ओरालिय जान परिणए) हे भदन्त वह एक द्रव्य औदारिक शरीरकायप्रयोगपरिणत होता है तो क्या वह एकेन्द्रिय के औदारिक शरीरका प्रयोगपरिणत होता है । अथवा यावत् पंचेन्द्रिय के औदारिकशरीर कायप्रयोग परिणत होता है ? ( गोयमा) हे गौतम ! (एगिंदियओरालिय सरीरकायप्पओगपरिणए वा, वेइंदियजाव परिणए वा जाब पंचिंदिय जाव परिणए वा ) वह एक द्रव्य एकेन्द्रियके औदारिक शरीरका प्रयोगपरिणत भी होता है । अथवा दोइन्द्रियके औदारिक शरीर कायप्रयोगपरिणत भी होता है । अथवा यावत् पंचेन्द्रियके औदारिकशरीरका यप्रयोगपरिणत भी होता है । ( जइ एगिंदियओरालियासरीरकायप्पओगपरिणए किं पुढविकाइय एगिंदिय जाव परिणए जाव ૫ ( जइ ओरालियस रीरकायप्पओगपरिणए किं एगिंदियओरालिय सरीरकायप्पओगपरिणए, एव जान पंचिंदिय ओरालिय जान परिणए ) હે ભદન્ત! તે એક દ્રવ્ય જો ઔદારિક શરીરકાય પ્રયાગપરિણત હોય છે, તે શું તે એકેન્દ્રિયના ઔદારિક શરીરકાય પ્રયાગપરિણત હાય છે, કે ફ્રીન્દ્રિયના, ત્રીન્દ્રિયના, यतुरिन्द्रियना, } च येन्द्रियना मोहारि शरीराय प्रयोगपरिणत होय छे ? ( गोयमा ! ) हे गौतम । ( एगिंदिय ओरालिय सरीरकायप्पओगपरिणए वा, वेदिय जाव परिणए वा, जात्र पंचिदिय जाव परिणए वा) ते વ્ય એકેન્દ્રિના ઔદારિક શરીરકાય પ્રયાગપરિણત પણ હાય છે, દ્વીન્દ્રિયના ઔદારિક શરીરકાય પ્રયાગપરિણત પણ હાય છે, અને પંચેન્દ્રિય પન્તના જીવાના ઔદારિક શરીરકાય પ્રયાગપરિણત होय हे ( जइ एर्गिदिय ओरालियसरीर कायापओगपरिणए किं पुढवि काइयएर्गिदिय जाव परिणए जाव वणस्सइकाइय एर्गिदिय ओरालिय
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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