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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श. ७ उ. ९ सु. ४ रथमुसलसंग्राम निरूपणम् ७० छाया - ज्ञातमेतत् अर्हता, विज्ञातमेतत् अर्हता- रथमुसलः संग्रामः । रथमुसले खलु भदन्त ! संग्रामे वर्तमाने केऽजयन के पराजयन्तः ? गौतम ! वज्री, विदेहपुत्रः, चमरः असुरेन्द्रः असुरकुमारराजश्च एते अजयन, मल्लकिनः, नवलेच्छकिनः पराजयन्तः ततः खलु स कूणिको राजा रथमुसलं संग्रामम् उपस्थितम्, शेष यथा महाशिलाकण्टके संग्रामे, नवरं भूतानन्दो नव रथमुसलस ग्रामवक्तव्या 'णायमेय' अरहया' इत्यादि । सूत्रार्थ - (णायमेयं अरया, विघ्नायमेय अरया, रहमुसले संगामे) हे भदन्त ! अरहन्त भगवान् ने यह अच्छी तरहसे जाना है, यह अच्छी तरह से माना है कि रथमुसल इस नामका संग्राम है । सो (रहमुसले णं भंते ! सगामे वट्टमाणे के जइत्था के पराजइत्था ? ) हे भदन्त ! इस रथमुसल सग्राम में जब कि यह हो रहा था कौन२ जीते और कौन र हारे हैं ? (गोयमा) हे गौतम! ( वज्जी विदेहपुत्ते, चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया जहत्था, नवमल्लई, नवलेच्छई पराजइत्था ) वज्री - इन्द्र और विदेहपुत्र कूणिक तथा असुरकुमारेन्द्र असुरराज चमर ये सब इस रथमुसल सग्राममें जीते हैं, नौ मल्लकी और नौ लेच्छकी ये १८ गणराज हारे हैं (तए णं से कूणिए राया रहमुसलं संगामं उवट्टिय - सेसं जहा મુસલ સગ્રામની વકતવ્યતા 'णायमेयं अरहया' त्याहि सूत्रार्थ - ( णायमेयं अरहया, विनायमेयं अरहया, रहमुसले संगामे) હે ભદ્દન્ત ! અર્હત ભગવાને તે સમ્યક્ રીતે જાણ્યું છે, તે સમ્યક્ રીતે માન્યું છે કે २थर्मुसस नाभनो सआभ थवानी छे तो ( रहम्मुसले णं भंते ! सगामे वट्टमाणे के जत्था, के पराजइत्था ? ) डे लहन्त । ते रथमुसा संग्राम थयो, त्यारे ते संयम अन अनी विनय थयो भने होतो अन परान्न्य थयो ! ( गोयमा ! ) गौतम ! ( वज्जी विदेहपुत्ते, चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया जइस्था, नवमलई, नवलेच्छई पराजइत्था ) वी (धन्द्र), विद्वेडपुत्र (अलिङ) तथा असुरકુમારેન્દ્ર, અસુરરાય ચંમરના તે સગ્રામમાં વિજય થયા, નવ મલ ગણુ રાજાએ અને નવ લિચ્છવી ગણુરાજાએ, એમ કુલ ૧૮ ગણુરાજાએ તે યુદ્ધમા પરાજય થયેા હતેા हवे सूत्रार या संग्रामनु पूर्व वृत्तांत आये - 'तपणं से कूणिए राया रहमुसलं स गामं उवद्वियं - सेस जेहा महासिलाकंटए ! शडेन्द्र द्वारा रथभुस
SR No.009315
Book TitleBhagwati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages880
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size50 MB
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