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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श. ७ उ.९ सू.२ महाशिलाकण्टकसंग्रामनिरूपणम् ६९३ वर्तमाने प्रवर्तमाने केऽजयन् जयं लब्धवन्तः, के च पराजयन्त पराजय लब्धवन्तः ? भगवानाह-गोयमा ! वज्जी विदेहपुत्ते जइत्था' हे गौतम ! वज्री= शक्रः विदेहपुत्र: कूणिकश्च जितवन्तौ जयं लब्धवन्तौ 'नव मल्लई, नव लेच्छई कासी-कोसलगा अट्ठारस वि गणरायाणो पराजइत्था' नव मल्लकिनः मल्लकिनामानों नव राजानः नव लेच्छकिनः लेच्छकिनामानो नव राजान श्च काशीकोशलकाः, काशी वाराणसी तद्वासिन आधा नव मल्लकिनः, कोशला अयोध्या तद्वासिनः अपरे नव लेच्छकिनो भूपा मिलित्वा एते अष्टादश आप गणराजाः समुपस्थिते कार्य ये गणं कुर्वन्ति ते गणराजाः पराजित वन्तः पराजय लब्धवन्तः। चमरेण महाशिलाकण्टके सग्रामे विकुर्विते कि हे भदन्त ! जब महाशिलाकंटकसंग्राम हो रहा था तब उसमें कौन२ तो परास्त हुए और कौन२ जीते ? इसके उत्तरमें प्रभु गौतम से कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम ! वजी विदेहपुत्ते जइत्था' बज्री इन्द्र और विदेहपुत्र कूणिक इन दोनोंने जय प्राप्त की, तथा 'नवमलई नवलेच्छई कासी कोसलगा अट्ठारस वि गणरायाणो पराजइत्था' काशी देशके निवासी मल्लकी नामवाले नौ ९ राजा एवं कोशल अयोध्याके निवासी लेच्छकी नामवाले नौ ९ राजा ये सब अठारह गणराजा हार गये कार्य के उपस्थित होने पर जो सब मिलकर उसका विचार करते हैं वे गणराज कहलाते हैं । चमरके द्वारा महाशिलाकण्टक संग्राम जब विकुर्वित हुआ-तब कूणिक राजा ने क्या कियाके पराजडत्था ? HE-d! रे भाशि 2४ सयाम यादया, तेमा अना अने। વિજ્ય થયે અને કેને કેને પરાજય થયો? त त्त२ मापता महावीर प्रभु छ8- (गोयमा!) गौतम ! 'वजी विदेहपुत्ते जइत्था, an (धन्द्र) मने विYन (शि) मे गन्नेन। विन्य यथा, 'नवमल्लइ, नवलेच्छई कासी-कोसलगा अट्ठारस वि गणरायाणो पराजइत्था' કાશીદેશ નિવાસી મહલ જાતિના નવ ગણરાજાઓ અને કેશલ (અયોધ્યા) નિવાસી લિચ્છવા જાતિના નવ ગણરાજાઓ, એમ બધાં મળીને ૧૮ ગણરાજાઓને પરાજય થયે તે સમયે ભારતમાં ગણરાજ્ય હતા. ખાસ પ્રસંગે લેકે ભેગા મળીને નિર્ણય લેતા. લેકેના પ્રતિનિધિઓ ચૂંટી કાઢવામાં આવતા, નાયક આદિની પણ ચૂંટણી થતી. તે નાયકેને અહીં ગણરાજા કહેવામાં આવ્યા છે) અમરેન્દ્ર દ્વારા જ્યારે મહાશિલાકટક સંગ્રામની વિદુર્વણ કરવામાં આવી ત્યારે કુણિકે શું કર્યું, તે હવે સૂત્રકાર પ્રકટ
SR No.009315
Book TitleBhagwati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages880
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size50 MB
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