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________________ भगवतीसूत्रे eve एव निर्जरासययः, न वा निर्जरासमय एव वेदनासमयः । गौतमः पृच्छति"से केणट्टेणं एवं बुच्चइ-जे वेयणासमए न से निज्जरासमए, जे निज्जरासमए न से वेणासमए ? हे भदन्त ! तत् केनार्थेन कथं तावत् एवमुच्यते-यो वेदनासमयः न स निर्जरासमयः, यो निर्जरासमयः न स वेदनासमयः ? भगवानाह - 'गोयमा ! जं' समयं वेदेति नो तं समयं निज्जरेंति, ज समयं निज्जरेंति नो तं समयं वदेति' हे गौतम ! यं समयं यस्मिन् समये कर्म वेदयन्ति, नो तं समयं तस्मिन् समये निर्जरयन्ति, अथ च यं समयं यस्मिन् समये निर्जरयन्ति नो तं समयं तस्मिन् समये वेदयन्ति 'अण्णम्मि समए वेदे ति, समय है वही निर्जराका समय नहीं है और जो निर्जराका समय हैवही बेदनाका समय नहीं है, इस विषय में कारण जानने की इच्छा से प्रभु से गौतम कहते हैं कि- 'से केणट्टेणं एवं बुच्चर' हे भदन्त ! ऐसा आप किस कारण से कहते हैं किं 'जे वेयणासमए, न से निज्जरासमए, जे निज्जरासमए न से वेघणासमए' जो वेदनाका समय है वही समय निर्जराका नहीं है और जो समय निर्जराका है वही समय वेदना का नहीं हैं ? इसके उत्तर में प्रभु गौतम से कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम! 'ज समयं वेदेति नो तं समयं निज्जरेंति, समयं निज्जरेंति नो तं समयं वेदेति' जीव जिस समय में कर्मका वेदन करते हैं, उसी समय में वे उसकी निर्जरा नहीं करते हैं और जिस समय में उसकी निर्जरा करते हैं उसी समय में वे उसका वेदन नहीं करते हैं । अण्णम्मिसमए वेदेंति, अण्णम्मिसमए સમય હોતા નથી અને જે નિરાના સમથ હોય છે, એ જ વેદનાના સમય હેતા નથી હવે તેનું કારણ જાણવાની જિજ્ઞાસાથી ગૌતમ સ્વામી મહાવીર પ્રભુને આ પ્રમાણે अश्न पूछे छे - 'सेकेणणं भंते ! एवं वृच्चइ' हे सहन्त | साथ शा भरले भेतुं । छ। ४ 'जे वेणासमए, य से निज्जगसमए, जे निज्जरासमए, य से वेयणा समए' જે વેદનાના સમય હાય છે, એ જ નિર્જરાના સમય હાતા નથી, અને જે નિજ રાને સમય હોય છે, એ જ વેદનાના સમય હાતા નથી ? तेन। उत्तर भायता भहावीर अलु उडे - 'गोयमा !' हे गौतम! 'जं समयं वेदेति नो तं समयं निज्जरेंति, जं समयं निज्जरेंति, नो त समय वेदेति' के समये नुं वेहन रे छे, मेन समये तेनी निर्भरता नथी, અને જે સમયે કની નિર્જરા કરે છે. એ જ સમયે, તે તેનું વેન કરતા નથી. 1
SR No.009315
Book TitleBhagwati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages880
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size50 MB
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