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________________ ३८३ प्रमेयचन्द्रिकाटीका श. ७ उ. २ सृ. ३ मूलगुणप्रत्याख्यानित्वनिरूपणम् गुणपच्चक्खाणी, उत्तरगुणपच्चक्खाणी संखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी असंखेजगुणा । जीवा णं भंते ! किं सवमूलगुणपञ्चक्खाणी, देस मूलगुणपच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी ? गोयमा । जीवा सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी, देसमूलगुणपचक्खाणी, अपच्चक्खाणी वि । नेरइयाणं पुच्छा ? गोयमा ! नेरइया णो सब मूलगुणपच्चक्खाणी, णो देसमूलगुणपच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी । एवं जाव - चउरिं दिया । पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा : गोयसा ! पंचिदियतिरिक्खजोणिया णो सवमूलगुणपच्चकवाणी, देसमूलगुणपच्चक्खाणी वि, अपच्चक्खाणी वि । मणुस्सा जहा जीवा । वाणमंतर - जोइसिय- -वेमाणिया जहा नेरइया । एएसिणं भंते । जीवाणं सब मूलगुणपच्चक्खाणीणं, देसमूलगुणपच्चक्खाणीणं, अपच्चक्खाणीणं य कयरे कयरेहिंतो जाव - विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सवत्थोवा जीवा समूलगुणपच्चक्खाणी, देसमूल-गुणपच्चक्खाणी असंखेजगुणा, अपच्चक्खाणी अनंतगुणा । एवं बहुगाणि तिन्न वि जहा पढमिल्लए दंडए, णवरं सवत्थो वा पंचिंदिर्यातखिखजोणिया देसमूलगुणपच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा । जीवा णं भंते! किं सव्युत्तरगुणपच्चक्खाणी, देसुत्तरगुणपञ्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी ? गोयमा ! जीवा सत्तरगुण पञ्चक्खाणी वि, तिणि वि । पंचिदिय तिरिक्ख जोणिया मणुस्सा य एवं चेव । सेसा अपच्चक्खाणी, जावबेमाणिया । एएसिणं भंते! जीवाणं सव्युत्तरगुणप्रच्चकखाणी t
SR No.009315
Book TitleBhagwati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages880
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size50 MB
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