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________________ भगवतीस 9 त्वेन ढतया संबद्धाति, 'चिकणीकयाई' चिक्कणीकृतानि अत्यन्तरिनग्धतया दुर्भेद्यमृत्पिण्डवत् सूक्ष्मकर्मस्कन्धानां सरसतया परस्परं सम्बन्धकरणतो दुर्भेदीकृतानि 'सिलिटीकयाई श्लिष्टीकृतानि लोह सूत्र पद्धाऽग्नितो शलाकाकहापवत् निधत्तानीत्यर्थः ' खिलीभूयाई खिलीभूतानि, अग्नि संतसलो हमुद्गरकुट्टित सूचीकलापवत् पिण्डीभूतानि भवन्ति, यानि भोगं बिना उपायान्तरेण क्षपयितुमश " قف से चिकनाई - चिकाश के संबंध से अत्यन्त रिनग्ध होने के कारण मृत्तिका का पिण्ड दुर्भेद्य हो जाता है उसी प्रकार से जो कर्म सूक्ष्मकर्मों के रस के साथ परस्परगाढ संबंध करने के कारण दुर्जेय हो जाते हैं वे चिकणीकृत पापकर्म कहलाते हैं ऐसे ही चिकणीकृत पापकर्म नारक जीवों के होते है । (सिलिट्टीकाई ) जिस प्रकार लोहे के तार से मजबूत बांधकर अग्नि में तपायीं गईं लोहे की शैलियों परस्पर चिपक जाती हैफिर वे अलग नहीं हो सकती हैं, उसी प्रकार से जो कर्म आपस में एकमेक हो जाते हैं- जुदे नहीं किये जा मकते है -अर्थात् निधत्त हों वे पापकर्म लिष्टीकृत कहलाते हैं - ऐसे श्लिष्टीकृत पापकर्म नारक जीवों के होते हैं । ( खिली भूयो ) जो कर्म भोगे विना और किसी उपाय से नष्ट न किये जा सके अर्थात् निकाचित हो वे पापकर्म खिलीभूत कहलाते हैं ऐसे खिलीभूत पापकर्म नारक जीवों के होते हैं (अग्नि संतप्त लोहमुद्गरकुट्टित सूचीकलापवत् पिण्डीभूतानि भवंति ) यही बात इस દુર્ભેદ્ય ખની જાય છે, એજ પ્રમાણે જે કર્માં સૂક્ષ્મકર્માંના રસની સાથે પરસ્પર ગાઢ સાધ થવાને કારણે તુર્ભેદ્ય ખની જાય છે, એવાં કર્મોને ચીકણા પાપકર્મો કહે છે. નારક જીવાનાં પાપકર્મો એવાં ચીકણાં હોય છે. सिलिट्टी कयाइ " नेवी रीते सोढाना तारथी भन्णूत गांधीने अग्निभां તપાવેલી લેાઢાની સળીએ એક મીજી સાથે ચેટી જાય છે અને તેમને પછી જુદી પાડી શકાતી નથી-એટલે કે જે પાપકર્મી નિધત્ત હાય છે તેને શ્લિષ્ટી કૃત પાપકમાં કહે છે. નારક જીવેાનાં પાપકર્મો એવાં શ્લિષ્ટીકૃત હાય છે. " खिली भूयाई " ? भेना लोगव्या विना-मील થતા નથી, એવાં નિકાચિત કર્મોને ખિલીભૂત કહે છે. ખિલીભૂત હાય છે. 66 पशु उपायथी नाश નારકાનાં કર્યાં એવાં
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
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