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________________ प्रेमयन्द्रिका टीका शं० ५ ६० ८ ०२ जीरादिवृद्धिहान्यादिनिरूपणम् ३४३ अवस्थितानां नानात्वम् इदं तद्यथा-संमूच्छिमपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानां द्वौ अन्तर्मुहूर्वी, गर्भव्युत्क्रान्तिकानां चतुर्विंशतिम् मुहूर्तान् । समूच्छिममनुष्याणाम् अष्टचत्वारिंशतं मुहूर्तान् , गर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्याणाम् चतुर्विशतिम् मुहूर्तान् , वानव्यन्तरज्यौतिषिक-सौधर्मेशानेबु अष्टचत्वारिंशन् मुहूर्तान् । सनत्कुमारे हायंति, तहेव । अवढियाणं णाणत्तं इमं तं जहा) बाकी के और जीवों के विषय का घटना बढना पहिले की तरह से ही जानना चाहिये । इनके अवस्थान काल में जो भेद है यह इस प्रकार से है-जैसे-(संमु. च्छिमपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं दो अंतो मुहुत्ता, गम्भवक्कंतियाणं चउवीसं मुहुत्ता संमुच्छिममणुस्साणं अट्ठचत्तालीसमुहत्ता गम्भवक्कंतियमणुस्साणं चउवीस मुहुत्ता, वाणमंतरजोइस-सोहम्मीसाणेसु अट्ठचत्तालीस मुहत्ता, सणंकुमारे अट्ठारसराइंदियाइं, चत्तालोसयमुहुत्ता,माहिदे चउवीस राइंदियाई वीसयमुहुत्ता, बंभलोए पंचचत्तालीस राइंदियाई, लंतएनउई राइंदियाई महासुक्के सर्टि राइंदियसयं, सहस्सारे दोराइंदियसयाई, आणयपाणयाणं संखेजमासा, आरणऽच्चुयाणं संखेज्जाईबासाई) जो तियेच संमूछिम पंचेन्द्रिय हैं उनका अवस्थानकाल दो अन्तर्मुहूर्त का है तथा जो तिर्यश्च गर्भजन्मवाले हैं उनका अवस्थान काल चौबीस मुहूर्त का है । जो मनुष्य संमूच्छिम जन्मवाले होते हैं उनको अवस्थान काल ४८ मुहूर्त का है और जो मनुष्य गर्भ. जन्मवोले होते हैं उनका अवस्थान काल चौयोस मुहूर्त का है। वान ( अवसेखा सव्वे वडूढति, हायति, तहेव । अवटियाणं णाणत्तं इम त'जहा) माहीना मांडवानी वृद्धि भने हासन विषयमा पर माह પ્રમાણે સમજવું. તેમના અવસ્થાન કાળમાં જે ભેદ છે, તે નીચે પ્રમાણે છે – (समुच्छिमपंचि दिया तिरिक्खजाणियाणं दो अंतोमुहुत्ता, गन्भवतियाणं चवीस मुहुत्ता, समुच्छिम मणुस्साणं अट्टवासी मुहुता, गम्भवतियमणुस्साणं चउवासं मुहुत्ता, वाणमंतर-जोइस-सोहम्मी-साणेसु अढचत्तालीस महत्चा, सर्णकुमारे अटारसराइंदियाई, चत्तालीसयमुहुत्ता, माहि दे चवीस राइंदियाइ वीसय सुहुत्ता, बंभलोए पंचवत्तालोस राईदियाइ, लंतए नउई राई दियाई, महासुके सदि राइदियमय', सहस्सारे दो राइदियखयाई, आणयपाणयाणं संखेन्जमासा, आरणऽञ्चुयाणं संखेज्जाई वासाई) જે તિયચ સંમૂર્ણિમ પંચેન્દ્રિય છે, તેમને અવસ્થાન કાળ બે અન્ય મુહૂર્ત છે. ગર્ભજ તિર્યંને અવસ્થાન કાળ ૪૮મુહૂર્તોને છે. ૨૪મુહૂર્તને છે, જે મનુષ્ય સંમછિમ જન્મવાળાં છે, તેમને અવસ્થાન કાળ એને ગર્ભ જન્મવાળા મનુષ્યને અવસ્થાન કાળ ૨૪ સુના છે. વાનયંતર, તિ
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
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