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________________ - - प्रमैयचन्द्रिका टी० श०५ उ०७सू०५ परमाणुपुद्गलादीनां स्वरूपनिरूपणम् ५०६ कायाः असंख्येयभागम् , अशब्दपरिणतो यथा एकगुणकालकः । परमाणुपुदगलस्य खलु भदन्त ! अन्तर कालतः किच्चिर भवति ? गौतम ! जघन्येन एक समयम् , उत्कर्षेण असंख्येयं कालम् । द्विप्रदेशिकस्य खलु भदन्त ! स्कन्धस्य अन्तरं कालतः कियच्चिरं भवति ? गौतम ! जघन्येन एकं समय, उत्कर्पण अनन्तं कालं, एवं यावत् अनन्तपदेशिकः एकप्रदेशावगाढस्य खलु भदन्त ! परिणत हुआ पुद्गल उस स्थिति में कितने समय तक बना रहता है। (गोयमा) हे गौतम ! (जहण्णेणं एगं समयं उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभाग असहपरिणए जहा एगगुणकालए ) जघन्य से एक समय तक और उत्कृष्ट से आवलिका के असंख्यातवें भाग तक, शब्द रूप में परिणत हुआ पुद्गल उस स्थिति में बना रहता है। तथा अशब्दरूप स्थिति में परिणत हुआ पुदल उस स्थिति में कितने समय तक रहता है ? तो इसका समाधान यह है ति जिस प्रकार से एक कृष्णगुण के अंश वाला पुद्गल जितने समय तक उस गुण अंश में परिणत बना रहता है उसी प्रकार से यहां पर भी समझना चाहिये । (परमाणुपोग्गलस्सणं भंते ! अंतरं कालओ केवच्चिरं होह). हे भदन्त ! जिस परमाणु ने अपनी परमाणुरूप पर्याय छोड़कर स्कन्ध पर्याय धारण कर ली है और फिर वह वही परमाणुरूप पर्याय धारण करे-तो इसमें काल की अपेक्षा कितना अन्तर पड़ता है ? (गोयमा) हे गौतम ! (जहण्णेणं एग समयं, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं ) कम से कम अन्तर-विरह काल शमधे परिभेटु पुस त स्थितिमा सो समय २९ छ१ (गोयमा!) गौतम! (जहण्णेण एग समयं उक्कोसेण' आवलियाए असखेजहभाग असदपरिणए जहा एगगुणकालए) ४३५ परिणभेतुं पुरस मेछामा छ। એક સમય સુધી અને વધારેમાં વધારે આવલિકાના અસંખ્યાતમાં ભાગના કાળ સુધી એની એ સ્થિતિમાં રહે છે. કૃષ્ણગુણના એક અંશવાળું મુદ્દલ જેટલા સમય સુધી એ સ્થિતિમાં રહે છે, એટલે જ સમય અશબ્દરૂપે પરિ. મેલું પુલ પણ એની એ સ્થિતિમાં રહે છે. (परमाणुपोग्गलस्स णं भंते ! अंतरं कालओ केवच्चिर' होइ १) ભદન્ત ! જે પરમાણુએ પિતાની પરમાણુ પર્યાયને છેડી દઈને સ્કન્ધ પર્યાય ધારણ કરી લીધી હોય, અને ફરી પાછું તે એ જ પરમાણુ રૂપ પર્યાયને पार रे, तो तभा पनी अपेक्षा ९ मत२ ५७ छ १ (गोयमा!
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
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