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________________ भगवतीसरे घर भााः गंगनमनिज्ञानवानमइंगिक - सदमानन्त-स्थूलानन्तप्रदेशिक सन्धानाम . पता चतुर्गा प्रत्येक पट पट् परिगणनया जाताश्चतुर्विशतिर्भवाः ...नन्दनया जाताः पद्यमनिर्भमा ७६ ॥ सु० १ ।। परमाणुपुद्गलानिविपकेऽसियारामभृतियक्तव्यता। मृला .."परमाणु पांगले गंभंत! अलिधारं वा, खुरधार वा. ओगाना ?हता ओगाजा । लेणं संते! तत्व छिज्जेजवा भिजेज वा? गोयना!णोइणटेसमटे णो खल तत्थ मत्थं कमइ, एवं जात्र असंखेजपएसिओ। अणंतपय सिए णं भने ! खंध असिधारं वा, खुरधारं वा, ओगाहेजा ? हंता, आगाहना, सेणं भंते! तत्थ छिज्जेज्जावा, भिज्जेज्जा वा? गोया : अधेगम छिज्जेज वा, भिज्जेज्ज वा, अत्थे गाणो छिजाल बा, णो भिज्जेज्ज वा, एवं अगणिका. यस्त मझ मझेणं, तहिं णावरं झिया एज्ज' माणियव्वं । गवं पुक्खलसंवहनस्ल महामेहल्स मज्झमग्झेणं, तहिं 'उल्लगिया एवं गंगाप नहालईए पडिलोयं हव्यं आग म्जा, सहि विणिहायं आरजेना, उदगावत्तं वा, उदगविंद वा ओगाहा, मेणं तस्य परियाब्जेज्जा सू०२॥ नौ प्रदेशी गन्ध के और दन प्रदेशी स्कन्ध के चतुष्पदेशी स्कन्ध की सरा भंगात है-नो ये जब मिला कर ५२ हुए और संख्यासमय भागातनदेखि मृत्म अनंतपदेगिक, स्थल अनंतप्रदेशिक जिलों में प्रत्येक के माइन प्रकार इन २४ को ५२ के साथ जोर देने म मय भंग ५६ निशाचर जाते हैं। मृ० १ ॥ ...in....., अशी . मगसूक्ष्म अनंत છે કે ૬ .. બને છે. (૧૦ પ્રવિદ २५ २. म ७६ પાનના પર બંગ અને जाने , न. १ ॥
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
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