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________________ भगवतीस्त्रे उक्ताः 'जे वि य से जीवा अहे पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वटुंति' हे गौतम ! येऽपि जीवाः पाणिनः अधः प्रत्यवपततः-अधः प्रत्यागच्छतः तस्य इपोः उपग्रहे साहाय्यदाने वर्तन्ते सहायभूता भवन्ति ' ते वि य णं जीवा काइयाए, जाव-पंचहि किरियाहिं पुट्ठा' तेऽपि साहाय्यकारका जीवाः कायिक्या यावत्-प्राणातिपातक्रियया पञ्चभिः क्रियाभिः स्पृष्टाः पञ्चनियाजन्यकर्मणा वद्धा भवन्ति-इति ।। मु०४॥ ॥ अन्यतीर्थिकवक्तव्यतापस्तावः ।। मूलम्-" अन्नउत्थिया णं भंते ! एवं आइक्खंति, जाव -परूति. से जहानामए जुवई जुवाणे हत्थे णं हत्थे गेण्हेजा, चक्करस वा नाभीअरगा उत्तासिया, एवामेव जाव-चत्तारि पंच व्याप्त हैं। वाण ने ही वहां लगकर उस प्राणी का वध किया है अतः वह वध उस वाण आदि द्वारा निष्यन होने के कारण वाण आदि द्वार। किया गया माना गया है न कि धनुर्धारी आदि द्वारो, इसलिये धनुर्धारी आदि को चार क्रियाओं से स्पृष्ट प्रकट किया गया है। यही बात टीकाकार ने “बाण तदवयवभूतशरपलाणफलस्नायुजीव शरीराणांतु साक्षात् वध क्रियायां प्रवृत्तवात् पंच क्रिया उक्ताः" इस पंक्ति द्वारा स्पष्ट समझाई है। (जे विय से जीवा अहे 'पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वहति ) हे गौतम ! जो भी जीव नीचे की ओर आते हुए उस घाण के सहायभूत होते हैं (ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा ) वे भी सहायकारक जीव भी कायिकी क्रिया से लेकर प्राणातिपातिकी तक की पांच क्रियाओं से स्पृष्ट होते हैंअर्थात् पंचक्रिया जन्य कर्मों से बद्ध होते हैं। सू० ४ ॥ ધનુર્ધારી, ધનુષ આદિને ચાર ક્રિયાઓથી સ્પષ્ટ કહેવામાં આવેલાં છે–એજ पात सूत्रार (बाणतवयवभूत शर-पत्त्रण-फल-स्नायु-जीवशरीराणां तु साक्षात् वधक्रियायां प्रवृत्तत्वा तु पंच क्रिया उक्साः) मा ४थन द्वारा २५०८ शत समाजवी छ. मा सूत्रन भावार्थ ५ ५२ मावी गयो छ (जे वि य से जीवा अहे पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वहति) गौतम ! । नाय तरता ते मायने सहायभूत थाय छ, (ते वि य जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहि पुढा) a wो ५६ विधीथी श३ ४२ प्रातिपतिsी પર્યન્તની પચે ક્રિયાઓથી પૃષ્ટ થાય છે એટલે કે તે જ પણ તે પાંચે लियामा न्य मध २४ना२ मन छ. ॥ सू. ४ ॥
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
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